डॉ स्वाति ठाकुर की राय, इस तरह करे समय का सदुपयोग
कोरोना महामारी को समाप्त करने को लेकर चल रहे कर्फयू और लाॅकडाउन से बच्चों से लेकर बुजुर्गों को परेशानी के दौर से गुजरना पड़ रहा है। अचानक आए इस फरमान से जहां बुजुर्गो के सैर सपाटे की आदत छूट गइ वहीं बच्चों के खेलकूद की गतिविधियां भी लगभग समाप्त ही हो गई हैं। ऐसे में लोगों में चिड़चिड़ापन होना स्वाभाविक हैं। ऐसे में घरों में इस प्रकार से मजबूरी में रहना कलेष या विवाद का कारण न बन जाए तो लोगों को चाहिए कि अपने सामान का सुदुपयोग समय सारिणी बनाकर करें जिससे यह समय हंसते खेलते कट जाए। इसी संवेदनशील मसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एमडी रेडियोलाॅजिस्ट (एम्स) डा स्वाति ठाकुर ने कहा कि ऐसे समय में बच्चों के साथ स्वयं को शामिल करना चाहिए। उनके साथ घर के आंगन, छत या टैरेस पर खेलना चाहिए ताकि बच्चों में ज्यादा से ज्यादा उछल कूद हो और वे षारीरिक तौर पर थकें। इससे बच्चों को नींद भी अच्छी आएगी और उनका समय भी सही तरीके सेकटेगा। घर में यदि दादा दादी या नाना नानी हो तो अधिक समय उनके साथ बिताएं। इससे बुजुर्गों का मन भी बहलेगा तथा बच्चे भी उनकी निगरानी में अपने खिलौनों आदि से खेलेंगे।
हालांकि इस समय अधिकांश बच्चे छुटिटयां होने को लेकर खुश।है लेकिन दिन भर की धमाचौकड़ी से परेशान न हो। समय का सही प्रयोग हो इसके लिए माता पिता को चाहिए कि वे समय सारिणी बनाएं। जिसमें बच्चों की शारीरिक क्रियाएं, योग, टीवी, कुछ अन्य मंनोरंजनात्मक खेलों का समावेश हो। डा स्वाति का कहना है कि आजकल बच्चे स्क्रीन प्रेमी ज्यादा बन गए हैं या बनाए जा चुके हैं। बच्चों को इस लत से दूर करने का प्रयास करें। यदि बच्चा मोबाईल देख भी रहा है तो इस पर यह जरूर देखें की वह देख क्या रहा है। डा स्वाति ठाकुर का कहना है कि अपने मित्रों संबंधियों से फोन पर कम से कम बात कर मन लगा रहता है। घर में पति को चाहिए कि वे पत्नी के रसोई कार्यों में हाथ बटाएं। कुछ नया बनाएं या बनाना सीखें। उन्होंने कहा कि इन दिनों दूरदर्शन चैनल पर सुप्रसिद्ध रामायण, महाभारत धार्मिक सीरियल चल रहे हैं। बच्चों को इन धारावाहिकों से जोड़कर गृहस्थ की शिक्षा एवं संस्कार दिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि समय में कोई परिवर्तन नही आया है, हमें स्वयं की आदतों में बदलाव लाना होगा ताकि अनावश्यक तनाव और चिड़चिड़ेपन से निजात मिल सके।
