तैयार फसल को कंपोस्ट खाद बनाने के लिए मजबूर बागवान
करोना संक्रमण के चलते लॉक डाउन के कारण धुंदन पंचायत के गांव चमाकड़ी के किसान धनीराम शर्मा लाखों रुपए के फूलों की तैयार फसल की कंपोस्ट खाद बनाने के लिए मजबूर हैं। लाॅकडाउन के चलते फूलों की खपत वाली सभी गतिविधियां बंद पड़ी हैं जिस कारण वह ग्रीन हाउस पर तैयार की गई फूलों की फसल बाजार में नहीं भेज पा रहे हैं।
धनीराम ने फूलों की खेती के लिए बैंक से 11लाख रुपए का ऋण लिया था। उन्होंने लिलियम प्रजाति के बीज बेंगलुरु से मंगवाए जिस पर उनका लगभग ₹4 लाख खर्च आया। इसके अतिरिक्त पैकिंग खाद उत्पादन में प्रयोग होने वाले अन्य अन्य उपकरणों पर लगभग ₹5 लाख का निवेश किया लेकिन दुर्भाग्यवश लॉक डाउन के चलते फूलों की तैयार फसल को बाजार तक नहीं पहुंचाया जा रहा है। उनका कहना है कि आमदनी न होने की वजह से बैंक के खाते भी एनपीए हो गए हैं।
धनीराम कहते हैं कि इस साल फसल तो अच्छी थी लेकिन बाजार में न भेजने के कारण अब उन्हें उसकी कंपोस्ट खाद ही बनानी पड़ रही है।क्योंकि इस प्रजाति के फूलों का बीज तैयार करना भी उनके बूते में नहीं है और उन पौधों को पशुओं को भी नहीं खिलाया जा सकता क्योंकि उस पर दवाइयां तथा अनेक प्रकार का छिड़काव किया गया है। लिहाजा उन्होंने उन पौधों से कंपोस्ट तैयार करना ही उचित समझा।
धनीराम ने कहा कि मेरे जैसे छोटे किसानों के लिए यह कुदरत की एक बहुत बड़ी चपत है अब यदि सरकार हम लोगों को कुछ मुआवजा देकर सहारा दे दे तो हम भविष्य में इस प्रकार की फसल उगाने में सक्षम हो पाएंगे अन्यथा इस भारी-भरकम नुकसान से उबर पाना उनके वश की बात नहीं है। सोलन उद्यान विभाग के उपनिदेशक राजेंद्र कुमार का इस विषय में कहना है कि फिलहाल अभी तक सरकार की ओर से उन्हें कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है लेकिन उन्होंने अपने स्तर पर जिला भर में पुष्प उत्पादकों के नुकसान की रिपोर्ट बनाकर उद्यान विभाग निदेशालय को भेज दी है।
