विधानसभा शीतकालीन सत्र : स्टोन क्रशर को लेकर सत्तापक्ष-विपक्ष में टकराव, विपक्ष का वाकआउट

-तीन जिलों में ही क्रशर बंद करने पर उठाए सवाल
-सुक्खू सरकार पर लगाया तानाशाही का आरोप
धर्मशाला के तपोवन में चल रहे हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन हाउस में स्टोन क्रशरों को बंद करने को सत्तापक्ष और विपक्ष में तीखी नोक-झोंक हुई। सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए सदन से विपक्ष ने वाकआउट कर दिया।
प्रश्नकाल में इस मामले में पहला प्रश्न सुलह के विधायक विपिन सिंह परमार ने किया। उन्होंने कहा कि स्टोन क्रशर बंद करने के मामले में केवल तीन जिलों को ही टारगेट किया गया है। इस पर मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि ब्यास और उसकी सहायक नदियों के इर्द-गिर्द बहुत नुकसान हुआ। इस कारण ब्यास बेसिन में आने वाले क्रशरों पर कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कमेटी ने लगभग 80 क्रशरों को रद्द किया है। अब कुछ क्रशरों को खोल दिया गया है। जब वे कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करेंगे तो उनकी बहाली की जाएगी।
वहीं, अनुपूरक सवाल में भाजपा विधायक बिक्रम सिंह ने कहा कि 112 क्रशर बंद किए गए हैं। रेत, बजरी के रेट तीन गुना हो गए। कई लोग बेरोजगार हो गए। इनको कांगड़ा और यह क्षेत्र ही नजर आया। सोलन और सिरमौर में क्रशर बंद क्यों नहीं किए गए। यह कहना सही नहीं है कि राजस्व नुकसान नहीं हुआ। मंत्री और मुख्यमंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए विपक्ष ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए सदन से विपक्ष ने वाकआउट कर दिया।
वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सूक्ख ने कहा कि सरकार कायदे-कानूनों से चलती है। 128 क्रशर ब्यास बेसिन पर थे। ब्यास नदी ने तबाही मचाई। अधिसूचना के अनुसार क्रशर 15 सितंबर तक होते हैं। क्रशर खोलने के लिए नियमों को पूरा करने की जरूरत होती है। सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है। सरकार बजरी का रेट कोस्ट ऑफ प्रोडक्शन से हिसाब से तय करने पर विचार कर रही है, जिससे जनता पर बोझ न हो।