18 या 19 अक्टूबर, धनतेरस कब है? जानें पूजा की डेट व शुभ मुहूर्त

कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। इस बार कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 18 अक्टूबर को दोपहर 12:20 बजे से होगी और 19 अक्टूबर को दोपहर 1:53 बजे तक रहेगी। इसीलिए इस वर्ष धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी, भगवान कुबेर व धनवंतरी जी की पूजा की जाती है। मान्यता यह है कि इनकी पूजा से घर परिवार में सुख-संपन्नता बनी रहती है और खुशहाली आती है। इस दिन नई वस्तुएं खरीदने की भी परंपरा है क्यों कि कहा जाता है इस अवसर पर नई वस्तुओं की खरीदारी करने से धन-दौलत में बढ़ोतरी होती है। इस दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन तथा झाडू आदि भी खरीदने की परंपरा है। धनतेरस के साथ ही दीपावली पर्व की भी शुरुआत हो जाती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
धनतेरस को शाम में माता लक्ष्मी, भगवान धनवंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है। धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर को शाम 7:11 बजे से रात 9:22 बजे तक है।
कुछ चीजें भूलकर न खरीदें
मान्यता है कि इस दिन खरीदारी करने से धन-दौलत बढ़ता है पर कुछ चीजें ऐसी भी है जिसे भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए। जैसे कि लोहे की वस्तुएं न खरीदें। लोहे से बनी वस्तुएं खरीदना अशुभ माना जाता है। क्यों कि लोहा को शनि का कारक माना जाता है और यह अशुभ होता है। इस दिन को शीशे का सामान भी न खरीदें। शीशा को अस्थिरता का प्रतीक माना गया है। साथ ही इस शुभ दिन पर चाकू, कैंची, पिन, सुई या किसी भी तरह की नुकीली चीजें खरीदने से बचना चाहिए क्यों कि इसे अशुभ माना गया है।
क्यों मनाया जाता है
जब देवताओं तथा असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब उस मंथन से बहुत सी कीमती चीजें निकली थीं और साथ ही माँ लक्ष्मी भी प्रकट हुईं थी। अंत में भगवान धन्वंतरि अमृत के कलश लेकर प्रकट हुए। इस अमृत के लिए देवताओं-असुरों के बीच लंबा संघर्ष चला। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को ही भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र में प्रकट हुए थे। तभी से इस तिथि को धनतेरस के रूप में मनाने और भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी व कुबेर देव की पूजा की जाने की परंपरा चली आ रही है।