क्यों मनाई जाती है दिवाली, जानिए इसके पीछे क्या है वजह

देशभर में दीपावली को बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। हर साल यह कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस बार दिवाली 20 अक्टूबर सोमवार को मनाई जाएगी। दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का सबसे शुभ समय शाम 7:08 बजे से लेकर रात 8:18 बजे तक है।
इस दिन लोग लक्ष्मी-गणेश व कुबेर की पूजा करते हैं। इस त्योहार की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है और भाई दूज के दिन यह समाप्त हो जाता है। लक्ष्मी-गणेश के आगमन के लिए लोग इस दिन अपने घरों को सजाते हैं और दीप प्रज्वलित कर खुशियां मनाते हैं। लोग इस पर्व पर उपहार स्वरूप एक दूसरे को मिठाईयां भी बांटतें हैं।
इस त्योहार को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं
वाल्मीकि रामायण व रामचरितमानस के अनुसार, त्रेता में जब भगवान राम रावण का वध कर, चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके जब अयोध्या लौटे थे तब अयोध्या वासियों ने उनका स्वागत दीप प्रज्वलित कर किया था। माना जाता है कि तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में इसे मनाया जाने लगा।
दूसरी प्रचलित कथा यह है कि सतयुग में जब देवताओं ने दानवों के संग समुद्र मंथन किया, तब इससे अमृत कलश लिए भगवान धनवंतरि प्रकट हुए। जिस दिन भगवान धनवंतरि अमृत कलश लिए प्रकट हुए उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। मान्यता है कि तभी से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाने की परंपरा चल पड़ी।
इसी दिन सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद साहिब जी ग्वालियर किले से अपने साथ 52 कैदियों को जहांगीर की कैद से छुड़वाया था। इसी के उपलक्ष्य में सिख समुदाय के लोग में इस दिन को बंदी छोड़ दिवस यानी आजादी के दिन के रूप में मनाते हैं।
जैन धर्म में दिवाली भगवान महावीर के मोक्ष प्राप्ति के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। जैन ग्रंथों के अनुसार, भगवान महावीर को इसी दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।