26 या 27 अगस्त, जानें कब है हरतालिका तीज, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Hartalika Teej 2025: इस वर्ष हरतालिका तीज 26 अगस्त को मनाया जायेगा। वैसे पुरे वर्ष में तीन तरह के तीज मनाये जाते हैं, जिसमें सावन में हरियाली तीज और मानसून में कजरी तीज व हरतालिका। हरतालिका तीज हिंदू सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। सामान्यतः हरतालिका तीज अगस्त और सितंबर महीने में पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि मां पार्वती ने भी भगवान शंकर को पाने के लिए यह व्रत रखा था।
इस त्योहार के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक जीवन की समृद्धि और खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रख कर बड़ी श्रद्धा से देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। व्रत के दौरान रात भर जागकर भजन-कीर्तन करती हैं। अगले दिन व्रत रखने वाली महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं।
हरतालिका तीज की कथा
इस कथा के अनुसार, माता पार्वती ने शैलपुत्री के रूप में अवतार लिया और युवा होने पर उन्होंने अपने पिता से शिव से विवाह करने की बात की लेकन उनके पिता नहीं माने। तब पार्वती ने भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन गंगा की रेत और गाद से शिवलिंग बनाकर शिव की तपस्या करनी शुरू कर दी। इससे भगवान शिव प्रभावित होकर मां पार्वती को विवाह का वचन दिया। मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हो गया। तभी से उस दिन को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाने लगा।
Hartalika Teej 2025: शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर इसका समापन होगा ।
Hartalika Teej 2025: पूजन मुहूर्त
हरतालिका तीज की पूजा सुबह किया जाता है। इसीलिए पूजा करने की शुभ मुहूर्त 26 अगस्त सुबह 5 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर इसका समापन होगा।
Hartalika Teej 2025: पूजन विधि
हरतालिका तीज पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन महिलाओं लो 16 श्रृंगार करना चाहिए। पूजा स्थल को फल-फूलों से सजाएं। एक चौकी लें और उस पर शिव, पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर दें। उनके आगे एक दीपक जलाएं। इसके बाद सुहाग की सारी वस्तुएं रखकर माता पार्वती को दान करें। उन्हें फल, फूल और मिठाई का भोग लगा कर उनकी पूजा करें। इसके बाद तीज की कथा सुनें और गरीबों में अपने अनुसार कुछ दान जरूर करें। रात में जागकर भगवान शिव और माता पार्वती का भजन-कीर्तन करें। सुबह फिर से नहा धोकर भोग लगाकर पूजा अर्चना करने के बाद अपना व्रत खोलें।