नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों को कौन सा भोग लगाएं और क्या हैं इसके महत्व

इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज सोमवार 22 सितंबर से हो गई है। नवरात्रि के 9 दिनों में देवी दुर्गा की 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। देवी के अलग अलग स्वरूप के लिए अलग-अलग भोग चढ़ाने की परंपरा है। नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के साथ उनके प्रिय भोग के बारे में जान लेते हैं।
माता शैलपुत्री (पहला दिन)
पहले दिन गाय के घी से बना भोग मां शैलपुत्री को चढ़ाएं। इससे परिवार में सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही इससे रोग से मुक्ति मिलती है और सभी तरह के कष्टों से भी निजात मिलता है।
माता ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन)
दूसरा दिन मिश्री और शक्कर से बना भोग माता ब्रह्मचारिणी को बहुत प्रिय होता है। खीर का भोग चढ़ा सकते हैं। इससे परिवार में प्रेम बना रहता है। साथ ही इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
माता चंद्रघंटा (तीसरा दिन)
दूध से बना भोग चढ़ाएं इस तीसरे दिन। मां चंद्रघंटा को यह बहुत पसंद है। इससे घर में सुख-शांति आती है और खुशहाली बनी रहती है।
माता कूष्माण्डा (चौथा दिन)
चौथे दिन माता कूष्माण्डा को मालपुआ का भोग बनाकर चढ़ाएं। इससे बुद्धि- ज्ञान बढ़ता है। धन की प्राप्ति होती है और समृद्धि बनी रहती है।
माता स्कंदमाता (पांचवां दिन)
केला का भोग लगाएं इस दिन। इससे स्कंदमाता प्रसन्न होती हैं। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रही है। मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
माता कात्यायनी (छठा दिन)
छठे दिन माता कात्यायनी को शहद से बना पकवान चढ़ाएं। इससे त्वचा में निखार आता है और स्वास्थ्य में लाभ होता है। परिवार में प्रेम व मिठास बनी रहती है।
माता कालरात्रि (सातवां दिन)
मां कालरात्रि को गुड़ से बना भोग लगाएं इस दिन। इससे जीवन में कष्ट दूर होते हैं और मन को शांति मिलती है।
माता महागौरी (आठवां दिन)
माता महागौरी को नारियल या इससे बना भोग चढ़ा सकते हैं इस दिन। उन्हें ये बहुत प्रिय है। इससे घर परिवार में खुशहाली और सुख-शांति बनी रहती है।
माता सिद्धिदात्री (नौवां दिन)
माता सिद्धिदात्री को नौवें दिन खीर, चना और हलवा-पूरी का भोग चढ़ाएं। इससे माना जाता है कि मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इससे जीवन में ज्ञान की वृद्धि होती है और आंतरिक शक्ति मिलती है। परिवार में खुशियां आती है।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का जो पर्व है वह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध करने के लिए 9 दिनों तक युद्ध किया था। महिषासुर का वध करके देवी ने धर्म की रक्षा की थी। इसीलिए नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्रि में व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, यदि नवरात्र की प्रतिपदा सोमवार या रविवार को हो तो देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। देवी दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना बहुत ही शुभ माना जाता है।