गांव में 48 घर, 30 जवान
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जब भी राष्ट्र पर संकट आया वीरभूमि हिमाचल प्रदेश के शौर्यवीरों ने नया इतिहास लिख दिया। ये बेहद गौरव का संदर्भ है कि देश का सर्वोच्च सैनिक सम्मान 'परमवीर चक्र, अब तक महज 21 वीर सपूतों को प्राप्त हुआ है, और इनमें हिमाचल के चार योद्धा शामिल है। वीरता और देश भक्ति का जज्बा यहाँ के हवा -पानी में घुला है और हर साल हजारों हिमाचल युवा सेना में भर्ती होते है। हिमाचल के हर जिले, हर हिस्से, हर गांव में युवाओं में सेना भर्ती को लेकर एक सा जूनून और जोश दिखता है। वीरों का ऐसा ही एक गांव जिला सिरमौर की शिलाई तहसील में स्थित जास्वी गांव है , जो वीरता और जज्बे की एक अद्भुत मिसाल पेश करता है। इस छोटे से गांव में 48 घर हैं और करीब 800 की आबादी है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां के हर घर से कोई न कोई भारतीय सेना में अपनी सेवा दे रहा है, या दे चूका है।
जास्वी गांव न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी अनूठी परंपरा और वीरता के कारण भी चर्चा में रहता है। जास्वी गांव ने हर घर से एक फौजी की परंपरा को जीवित रखा है और इसे गर्व के साथ आगे बढ़ाया है। जास्वी गांव में वर्तमान में 30 जवान भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यहां के लोग मानते हैं कि हर घर से एक जवान सेना में होना चाहिए। यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि इनका एक नैतिक कर्तव्य बन चुका है। जब भी सेना को आवश्यकता होती है, इस गांव के युवा सीमाओं पर तैनात होने के लिए तैयार रहते हैं।
गांव के लोग बताते है कि यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारे गांव से हर घर में एक जवान है। यह परंपरा हम पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते आ रहे हैं। जब भी मातृभूमि को आवश्यकता होती है, हम सीमाओं पर डटे रहते हैं। जास्वी गांव के अधिकांश लोग खेती-बाड़ी पर निर्भर रहते हैं, लेकिन यहां के युवाओं के लिए सेना में भर्ती होना एक सपना बन चुका है। यहां के लोग मानते हैं कि देश की सेवा से बड़ा कोई सम्मान नहीं हो सकता और यही कारण है कि यहां के युवा सेना में भर्ती होने के लिए कठिन मेहनत करते हैं।
इस गांव की प्रधान चमेली जस्टा बताती हैं कि-"हमारे गांव से अब तक कई लोग सेना में सेवाएं दे चुके हैं। वर्तमान में 30 युवा सेना में हैं, और हम गर्व महसूस करते हैं कि हमारा गांव देश की सेवा में अपनी भागीदारी निभा रहा है। यहां के लोगों में यह भावना समाई हुई है कि हर घर से एक जवान सेना में तैनात हो, ताकि हमारे देश की सुरक्षा मजबूत हो।"
जास्वी गांव के जस्टा परिवार के बारे में कहा जाता है कि इस परिवार के अधिकांश सदस्य सेना में हैं। अत्तर जस्टा बताते हैं, “हमारे परिवार में पांच भाई सेना में हैं, जिनमें से तीन सगे भाई (प्रकाश, विक्रम और मनोज) हैं, और दो चचेरे भाई हैं। मैं खुद भी सेना में भर्ती होना चाहता था, लेकिन किसी कारणवश भर्ती नहीं हो सका।”
उनका कहना है कि “हमारे लिए सेना में भर्ती होना सबसे बड़ा सम्मान है और यह सम्मान हम अपने परिवार और गांव के लिए हर हाल में निभाना चाहते हैं। जास्वी गांव की यह वीरता सिर्फ संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गांव अपने बलिदान, निष्ठा, और देशभक्ति की कहानी बयां करता है।