रोथनी कैसल में हुआ कांग्रेस पार्टी का जन्म

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से न केवल ब्रिटिश राज का इतिहास जुड़ा है बल्कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस पार्टी की स्थापना भी शिमला में ही हुई थी। दरअसल, कांग्रेस पार्टी की नींव किसी भारतीय ने न रखकर एक रिटायर्ड अंग्रेज़ अफ़सर ने रखी थी। कांग्रेस पार्टी के जन्मदाता रिटायर्ड अंग्रेज़ अफ़सर ए.ओ. ह्यूम थे। शिमला में रहते हुए ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी की स्थापना की थी। आज उनके निवास स्थान को शीशे वाली कोठी के नाम से भी जाना जाता है, जो उस वक्त रोथनी कैसल के नाम से जानी जाती थी। इसलिए रोथनी कैसल का भारतीय इतिहास में एक बड़ा ऐतिहासिक महत्व है।
कौन थे एलन ऑक्टेवियन ह्यूम
मूल रूप से स्कॉटलैंड निवासी, आई.सी.एस. से सेवानिवृत्त भारतीय अधिकारी एलन ऑक्टेवियन ह्यूम ने 28 दिसंबर 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन किया था। तब इस पार्टी का उद्देश्य ब्रिटेन से भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ना नहीं था। कांग्रेस का गठन देश के प्रबुद्ध लोगों को एक मंच पर साथ लाने के उद्देश्य से किया गया था, ताकि देश के लोगों के लिए नीतियों के निर्माण में मदद मिल सके। थियोसोफिकल सोसाइटी के 17 सदस्यों को साथ लेकर ए.ओ. ह्यूम ने पार्टी बनाई। इसका पहला अधिवेशन मुंबई में हुआ, जिसकी अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की थी। कहा यह भी जाता है कि तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डफ़रिन (1884–1888) ने पार्टी की स्थापना का समर्थन किया था। ए.ओ. ह्यूम को पार्टी के गठन के कई सालों बाद तक भी पार्टी के संस्थापक के नाम से वंचित रहना पड़ा। 1912 में उनकी मृत्यु के पश्चात कांग्रेस ने यह घोषित किया कि ए.ओ. ह्यूम ही इस पार्टी के संस्थापक हैं। 1947 में स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई।
1838 में हुआ था रोथनी कैसल का निर्माण
शिमला के जाखू मंदिर को जाने वाले रास्ते पर रोथनी कैसल का निर्माण 1838 में हुआ था। बताया जाता है कि पहले सचिव डॉ. कार्टे ने 1843 में यहां शिमला बैंक कॉरपोरेशन का कार्य शुरू किया था। फिर 1851 में यहां से बैंक को शिफ्ट किया गया। उस समय बैंक के ही एक कर्मचारी आर्नल ने इसे खरीद लिया। इसके बाद यहां ए.ओ. ह्यूम ने अपना आशियाना सजाया। 1867 में ह्यूम ने ही इसका नाम रोथनी कैसल रखा था। बताया जाता है कि भारत सरकार के तत्कालीन सचिव ह्यूम के दिमाग में कांग्रेस को बनाने का विचार भी यहीं पर रहते हुए आया था। कांग्रेस पार्टी की स्थापना के संबंध में कई महत्वपूर्ण बैठकों का भी यहां आयोजन हुआ करता था।
कांग्रेस पार्टी की पहली बैठक हुई थी रोथनी कैसल में
भारत सरकार के सचिव रहते हुए ए.ओ. ह्यूम को जब कांग्रेस पार्टी बनाने का ख्याल आया तो रोथनी कैसल में ही वायसराय के साथ अलग-अलग मसलों पर बैठकें भी किया करते थे। वायसराय के कई विशिष्ट अतिथि भी तब ए.ओ. ह्यूम के साथ रोथनी हाउस में ही दिन बिताते थे। बताया जाता है कि 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ए.ओ. ह्यूम ने इसी निजी आवास में की थी और यहीं पर पार्टी की पहली बैठक भी आयोजित की गई थी।
‘अब शीशे वाली कोठी’ के नाम से जाना जाता है
शिमला के जाखू स्थित स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के निजी आवास हॉली लॉज से बस कुछ ही दूरी पर रोथनी कैसल स्थित है। मौजूदा समय में इसे शीशे वाली कोठी के नाम से जाना जाता है। इस एक मंज़िला इमारत के निर्माण में शीशे का ज़्यादा प्रयोग किया गया है। साथ ही इसके निर्माण में लकड़ी का इस्तेमाल हुआ है। बताया जाता है कि ए.ओ. ह्यूम के बाद यह लाला छूनामल के वंशजों का आवास रहा है।
रोथनी कैसल का अधिग्रहण करना चाहते थे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह
हिमाचल प्रदेश की सियासत में स्वर्गीय वीरभद्र सिंह एक बड़ा नाम हैं। वीरभद्र सिंह 6 बार मुख्यमंत्री रहे और प्रदेश के विकास में उनका अहम योगदान भी रहा है। वीरभद्र सिंह अपने निजी आवास हॉली लॉज से चंद मीटर की दूरी पर बने रोथनी कैसल का अधिग्रहण करना चाहते थे और इस जगह एक म्यूज़ियम बनाना चाहते थे। कांग्रेस पार्टी के इतिहास को संजोए हुए रोथनी कैसल का अधिग्रहण कर यहाँ म्यूज़ियम बनाने का स्वर्गीय वीरभद्र सिंह का सपना अधूरा रह गया।