माता रेणुका से मिलने श्री रेणुका जी पहुँचते हैं भगवान परशुराम!

देवभूमि हिमाचल के जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र का पहला पड़ाव है श्री रेणुका जी, जिसे भगवान परशुराम की जन्मभूमि माना जाता है। यहाँ स्थित पवित्र रेणुका झील करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है और मान्यता है कि इस झील में भगवान परशुराम की माता रेणुका निवास करती हैं। माता रेणुका के नाम पर ही इस झील और स्थान का नाम पड़ा है। मान्यता है कि दशमी से एक दिन पहले माँ रेणुका अपने पुत्र परशुराम से मिलने यहाँ आती हैं। इस दौरान यहाँ उत्सव मनाया जाता है। पवित्र झील के जल में लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं। आस्था से सराबोर रेणुका मेले का आयोजन पांच दिन तक किया जाता है।
रेणुका झील हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी झील है और इसे काफी पवित्र भी माना जाता है। कहा जाता है कि झील भगवान परशुराम की माता रेणुका का स्थायी निवास है, जो सदियों से इसी झील में वास कर रही हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, रेणुका वही जगह है जहाँ भगवान विष्णु के छठे स्वरूप परशुराम का जन्म हुआ था। कहते हैं, महर्षि जमदाग्नि और उनकी पत्नी भगवती रेणुका जी ने झील के साथ लगती चोटी तापे का टिब्बा में सदियों तक तपस्या की थी। उस समय इस झील का नाम राम सरोवर होता था। भगवान विष्णु ने इनकी तपस्या से खुश होकर वर दिया कि वह स्वयं उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे, जिसके बाद भगवान परशुराम का जन्म हुआ।
पर इसके कई वर्षों बाद सहस्त्रबाहु नाम के एक शक्तिशाली शासक ने इस इलाके पर हमला कर दिया। दरअसल, महर्षि जमदाग्नि के पास कामधेनु गाय थी, जिसे हासिल करने के लिए उसने महर्षि जमदाग्नि को भी बंधक बना लिया। किंतु महर्षि जमदाग्नि ने यह कहकर गाय देने से इंकार कर दिया कि यह गाय उन्हें भगवान विष्णु ने दी है। ऐसे में वह इस गाय को किसी और को देकर भगवान का भरोसा नहीं तोड़ सकते। इस पर क्रोधित होकर सहस्त्रबाहु ने महर्षि की हत्या कर दी।
उनकी हत्या के बाद उनकी पत्नी रेणुका जी साथ लगते राम सरोवर में कूद गईं और हमेशा के लिए जल समाधि ले ली। उक्त घटना के वक्त भगवान परशुराम वहाँ नहीं थे, पर बाद में जब परशुराम को इसका पता चला तो उन्होंने सहस्त्रबाहु का वध कर दिया। साथ ही तपस्या से पिता को भी नया जीवन दे दिया। परशुराम ने अपनी माता रेणुका से विनती की कि वे झील से बाहर आएं, मगर माँ रेणुका ने कहा कि वे अब हमेशा के लिए इस झील में वास करेंगी, पर वे परशुराम से मिलने साल में एक बार आएंगी। इसके बाद ही झील का नाम रेणुका झील पड़ा और उसी समय से इसकी आकृति भी महिला के आकार में ढल गई। मान्यता है कि दशमी से एक दिन पहले माँ परशुराम से मिलने आती हैं।
कोई नहीं माप पाया झील की गहराई:
भगवान परशुराम की जन्मभूमि श्री रेणुका जी उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों में से एक है। रेणुका जी झील हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है और लगभग तीन किलोमीटर में फैली है। खास बात ये है कि इस झील का आकार स्त्री जैसा है और इसे माता रेणुका की प्रतिछाया माना जाता है। कहते हैं कि कई बार वैज्ञानिकों ने इस झील की गहराई को मापने की कोशिश की, मगर वे इस काम में सफल नहीं हो सके।