भरमौर : त्रिलोचन महादेव के वंशज शिव चेले कल निभाएंगे डल झील तोड़ने की परंपरा
-आज चौरासी मंदिर भरमौर से डल झील के लिए हुए रवाना
-डल को तोड़ने के बाद होगा राधा अष्टमी का शाही स्नान
उत्तरी भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा में डल झील तोड़ने की परंपरा को निभाने के लिए संचूई के शिव गूर आज चौरासी मंदिर भरमौर से मणिमहेश डल झील के लिए रवाना हो गए। प्राचीन शिव मंदिर भरमौर में माथा टेकने के बाद चेलों ने मणिमहेश डल झील का रुख किया। 2 दिन शिव चेलों ने चौरासी में यात्रियों को यात्रा पर जाने की अनुमति दी।
कल 1 बजे के बाद डल झील को तोड़ने की परंपरा निभाई जाएगी। डल झील को तोड़ने के बाद ही राधा अष्टमी के शाही स्नान की शुरुआत होगी। पुरानी मान्यताओं के अनुसार डल झील को पार करने की परंपरा का निर्वहन सप्तमी के दिन होता है, जिसे राधा अष्टमी का स्नान कहा जाता है। सदियों से निभाई जा रही इस परंपरा का निर्वहन भरमौर के संचूई गांव के त्रिलोचन महादेव के वंशजों द्वारा किया जाता है जो मणिमहेश यात्रा के प्रमुख भागीदारों में से एक हैं।
