शिमला सीट से भाजपा का चौका, फिर जीते कश्यप

कांग्रेस को शिमला लोकसभा सीट से लगातार चौथी बार हार का सामना करना पड़ा। शिमला लोकसभा सीट के सभी 17 में से 13 हलकों पर तो कांग्रेस का कब्ज़ा है। पांच कैबिनेट मंत्री, तीन सीपीएस, चार ओएसडी सहित 50 से ज्यादा पदाधिकारी के बावजूद भी कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी, सुरेश कश्यप से 90548 मतों से हार गए। 2019 के लोकसभा चुनावों में सुरेश कश्यप की जीत का अंतर 3,27,515 था, जो 2024 में 91,451 रह गया। 2014 में जीते भाजपा के उम्मीदवार वीरेंद्र कश्यप की जीत का अंतर 84,187 था। इस बार कम हुए जीत के अंतर से साफ है कि अबकी बार बीते चुनावों के मुकाबले कांग्रेस और भाजपा में कड़ी प्रतिस्पर्धा रही। 2009 और 2014 में भाजपा से वीरेंद्र कश्यप इस सीट पर लगातार दो बार विजयी रहे। 2009 में हुए चुनाव में भाजपा के वीरेंद्र कश्यप और कांग्रेस के मोहन लाल ब्राकटा के बीच हुए चुनावों में जीत का अंतर 27,327 मत रहा।
कांग्रेस प्रत्याशी रहे कसौली के विधायक विनोद सुल्तानपुरी के पिता कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी लगातार छह बार इस सीट से जीते थे। वह 1980 से 1998 तक सांसद रहे। सिरमौर जिला के प्रताप सिंह दो बार सांसद चुने गए थे। सोलन जिला के कर्नल धनी राम शांडिल ने भी इस सीट से दो बार लोकसभा का चुनाव जीता। 1977 में शिमला के बालक राम कश्यप भी इस सीट से सांसद चुने गए थे। उनका कार्यकाल ढाई साल रहा। इन चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी अपने ही विधानसभा क्षेत्र से लीड बनाने में नाकामयाब रहे। किसी समय कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर भाजपा ने लगातार चौथी बार जीत हासल कर अपने किले को और मजबूत कर लिया है। विधायकों के 13 हलकों में भी कांग्रेस को सिर्फ 2 हलकों से ही लीड मिली है, 11 हलकों में तो भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप पर जनता ने फिर से विश्वास जता कर कश्यप को संसद तक भेजने का फैसला लिया है।