3 पद और 3 कसौटियों पर खरा उतरने की चुनौती

तीन रिक्त मंत्री पद और तीन कसौटियों पर खरा उतरने की चुनौती। सुक्खू कैबिनेट के विस्तार की अटकलों के बीच एक बार फिर जातीय, क्षेत्रीय और पार्टी में राजनैतिक संतुलन को लेकर चर्चा हो रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि सुक्खू कैबिनेट में क्षेत्रीय असंतुलन दिखता है, किसी एक ज़िले से तीन मंत्री है तो सियासी तौर पर सबसे वजनदार ज़िले के हिस्से में महज एक पद। इसी तरह कैबिनेट में अब तक 6 राजपूत चेहरे है, जबकि सिर्फ एक -एक ब्राह्मण, एससी और ओबीसी है। यानी इस पैमाने पर कैबिनेट का संतुलन राजपूत समुदाय की तरफ ज्यादा ही झुका सा है। इसी तरह अगर पार्टी की अंदरूनी राजनीति की बात करें मोटे तौर पर पार्टी में अब तक सब ठीकठाक है। कांग्रेस के लिए अंदरूनी समीकरणों में संतुलन और सामंजस्य बिठाना कुछ खास मुश्किल नहीं रहा। पर आहिस्ता - आहिस्ता अब दिल्ली की मुलाकातें और बंद कमरों में हो रही बातों को लेकर कयासबाजी हो रही है। मामला 'आउट ऑफ़ कंट्रोल' न सही लेकिन विरोधियों को इसमें संभावना जरूर दिख रही होगी।
प्रबल सम्भावना है कि जल्द सुक्खू कैबिनेट का स्वरुप बदलेगा और ऐसे में मंत्री पद के तमाम चाहवानों का बेक़रार होना लाजमी है। हालांकि कुछ जानकार अब भी मानते है है कि सीएम सुक्खू अब भी किसी जल्दबाजी में नहीं है और संभव 'वॉच एंड होल्ड' की नीति पर ही टिके रहें। पर अगले साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव है और ऐसे में संभवतः अब ज्यादा विलम्ब न हो।
साल 2022 में कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ सत्ता पर काबिज हुई। तत्पश्चात पदों का बंटवारा हुआ, किसी को थोड़ा कम मिला तो किसी को थोड़ा ज्यादा। कैबिनेट के कुल 12 में से 9 पदों पर नियुक्तियां हो गई, जबकि तीन पद खाली रख लिए गए। जाहिर है मंशा साफ़ थी कि वक्त और मौके की नजाकत के लिहाज से संतुलन बरक़रार रखने में इनका इस्तेमाल किया जायेगा। अब इन तीन मंत्री पदों के जरिये पार्टी को क्षेत्रीय और जातीय के साथ -साथ, पार्टी के भीतर भी संतुलन सुनिश्चित करना है। पर ये तीन पद कब भरे जाएंगे, फिलवक्त निगाह इसी पर है।
पद तीन और चाहवान कई :
पद बेशक सिर्फ तीन हो लेकिन दावेदारों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। इनमें सबसे पहला नाम है धर्मशाला से विधायक सुधीर शर्मा का, क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को देखा जाए तो सुधीर जिला काँगड़ा से आते है और ब्राह्मण फेस भी है। दूसरा नाम ज्वालामुखी से विधायक संजय रत्न का है। संजय रतन भी ब्राह्मण समुदाय से है और कांगड़ा से भी। इसके अलावा जयसिंहपुर से विधायक यादविंदर गोमा भी मंत्री पद की दौड़ में है। गोमा एससी चेहरा है और वे भी जिला काँगड़ा से संबंध रखते है। जानकार मानते है कि जिला कांगड़ा को दो मंत्री पद मिल सकते है।
वहीँ मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के करीबियों में गिने जाने वाले घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजेश धर्माणी मंत्रिमंडल विस्तार के पहले चरण में मंत्री नहीं बन पाए हैं। धर्माणी ब्राह्मण फेस है और क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिहाज़ से भी मंत्री पद के प्रबल दावेदार है। इसके अलावा जिला हमीरपुर से सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा और बड़सर विधायक इंद्रदत्त लखनपाल भी मंत्री पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे है। जातीय समीकरणों पर गौर करे तो राणा राजपूत है और लखनपाल ब्राह्मण चेहरा है। हालाँकि क्षेत्रीय समीकरणों के लिहाज़ से प्रदेश के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री, दोनों ही हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से है ऐसे में इस संसदीय क्षेत्र को और पद मिलना मुश्किल जरूर लगता है।
बहरहाल शेष तीन पदों को भरते वक्त क्या सीएम सुक्खू का निर्णय ही अंतिम होगा या आलाकमान इसमें दखल देता है, इस पर भी काफी कुछ निर्भर करेगा। निगाहें होलीलॉज पर भी टिकी है, अलबत्ता संगठन की कमान प्रतिभा सिंह के पास हो लेकिन सरकार में चहेतों को प्रतिनिधित्व को लेकर उनका क्या रुख रहता है, ये देखना दिलचस्प होगा।