इस जिले में तीन सीटें जीतने वाले दल की बनती है सरकार

ऊना जिला की पांच विधानसभा सीटों में से जिस पार्टी को 3 सीटें हासिल होती है, प्रदेश में सरकार उसी पार्टी की बनती है। ये सियासी रिवाज 1998 से चला आ रहा है। चुनाव नतीजों पर निगाह डाले तो ऊना जिले की जनता ने जिस पार्टी की झोली में तीन सीटें डाली, प्रदेश में सरकार उसी पार्टी की बनी।1998 में भाजपा ने यहाँ तीन सीटें जीती, चिंतपूर्णी, संतोखगढ़ और कुटलैहड़। जबकि ऊना और गगरेट में कांग्रेस को जीत मिली थी। तब प्रदेश में भाजपा गठबंधन की सरकार बनी। इसके बाद 2003 में गगरेट, संतोखगढ़ और चिंतपूर्णी में कांग्रेस जीती, जबकि ऊना और कुटलैहड़ में भाजपा ने कब्जा जमाया। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। 2007 में ऊना, गगरेट और कुटलैहड़ में भाजपा जीती और प्रदेश में भाजपा की ही सरकार बनी। इसी तरह 2012 में हरोली, चिंतपूर्णी और गगरेट में कांग्रेस को विजय श्री मिली और सरकार भी कांग्रेस की बनी। तीन सीट और सरकार का ये सिलसिला 2017 में भी कायम रहा जब भाजपा ने गगरेट, चिंतपूर्णी और कुटलैहड़ सीटें जीती और प्रदेश में फिर सत्ता वापसी की। अब इस बार भी मतदान हो चूका है और आठ दिसम्बर को तय होगा कि इस बार भी ऊना में 3-2 का रिवाज़ कायम रहता है या नहीं। इस बार के चुनाव पर निगाह डाले तो ऊना के कुटलैहड़ में भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र कंवर का मुकाबला उन्ही के भांजे कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र भुट्टो से हुआ है। तो हरोली में कांग्रेस प्रत्याशी और सीएम पद के दावेदार मुकेश अग्निहोत्री के सामने भाजपा के प्रो. रामकुमार हैं। ऊना सदर में भाजपा प्रत्याशी सतपाल सत्ती का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा से हुआ है। चिंतपूर्णी में भाजपा के सेटिंग विधायक बलवीर चौधरी और कांग्रेस ने नए प्रत्याशी सुदर्शन बबलू के बीच मुकाबला है। तो गगरेट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा विधायक राजेश ठाकुर दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला कांग्रेस में कुछ दिन पहले आए चैतन्य शर्मा से है।
1993 के बाद कोई निर्दलीय नहीं जीता
जिला ऊना की खास बात ये है कि 1993 के चुनाव में चिंतपूर्णी विधानसभा सीट से जीते निर्दलीय उम्मीदवार हरिदत्त के बाद यहाँ हमेशा से मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के बीच ही होता आया है। यानी की 1993 के बाद जनता ने कभी निर्दलीय या अन्य पार्टी के प्रत्याशी को मौका नहीं दिया। इस बार भी मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही दिख रहा है।
अग्निहोत्री और कंवर, दोनों को पांचवी जीत की तलाश
नजदीकी इतिहास पर निगाह डाले तो ऊना जिला की तीन सीटें परिवर्तन की साक्षी रही है। पर दो सीटें ऐसी है जहां राजनीतिक दल खूंटा गाड़ कर बैठे है। हरोली ( पहले संतोखगढ़ ) सीट पर कांग्रेस के मुकेश अग्निहोत्री लगातार चार चुनाव जीत चुके है। इसी तरह कुटलैहड़ में कांग्रेस आखिरी बार 1985 में जीती थी। कुटलैहड़ में पिछले चार चुनाव भाजपा के वीरेंद्र कंवर ने जीते है। यानी मुकेश अग्निहोत्री और वीरेंद्र कंवर दोनों की निगाह इस बार जीत के पंजे पर है।