देहरा: डाडासीबा अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ की ट्रांसफर होने से लाइसेंस बनवाने के लिए नहीं हो रहे मेडिकल

सरकार भले ही सार्वजनिक मंचों से प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे करती है, लेकिन धरातल पर शून्य है। इस बात का ताजा उदाहरण इन दिनों सिविल अस्पताल डाडासीबा में देखा जा सकता है।
25 पंचायतों के करीब 50 हजार लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल करने वाला सिविल अस्पताल डाडासीबा में करीब 6 डाक्टरों का जिम्मा मात्र दो डाक्टरों के कंधों पर थोप रखा है, यहां आने वाले मरीजों और तीमारदारों स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को कोसते हुए दिखते हैं। डाडासीबा में बीएमओ का पद पिछले 18 महीनों से रिक्त पड़ा है। यहां पर चिकित्सकों के 6 पद हैं, लेकिन अस्पताल में सिर्फ दो ही चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।
हॉस्पिटल में प्रतिदिन 250 से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं। लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण मरीज को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है उन्होंने सरकार से मांग की है कि शीघ्र ही रिक्त पदों को भर जाए। वहीं, पिछले कुछ समय से आंखों के विशेषज्ञ की ट्रांसफर होने के कारण लोगों ने लाइसेंस बनवाने के लिए अस्पताल में मेडिकल करवाना था। आंखों के विशेषज्ञ की ट्रांसफर होने के कारण लोगों के मेडिकल भी नहीं बन रहे हैं। लोगों को यहां से 25 किलोमीटर दूर मेडिकल करवाने के लिए सिविल हॉस्पिटल देहरा जाना पड़ रहा है।
लोगों ने सरकार से मांग की है कि शीघ्र ही इस पद को भी भर जाए, ताकि ग्रामीणों को परेशानियों का सामना न करना पड़े। इसके अलावा डाडा सीबा हॉस्पिटल में अल्ट्रासाउंड मशीन तो है, लेकिन पिछले कुछ समय से रेडियोलॉजिस्ट ना होने के कारण लोगों को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए तलवाड़ा, होशियारपुर, ज्वालाजी व मेडिकल कॉलेज टांडा के लिए जाना पड़ रहा है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है शीघ्र ही रेडियोलॉजिस्ट का पद भरा जाए।
उधर, इस संबंध में कार्यवाहक बीएमओ डाडासीबा नीतिन शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया अस्पताल में चिकित्सकों की छह पोस्ट हैं, लेकिन दो ही चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस बारे उच्च अधिकारियों को लिखा गया है।