धर्मशाला: पपरोला में बताए बहरेपन के कारण, इससे बचने के तरीके भी बताए

बहरापन जागरूकता सप्ताह को देखते हुए जिला स्तरीय बहरापन जागरूकता शिविर का आयोजन पपरोला पंचायत घर में किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य बहरापन के प्रति लोगों को जागरूक करना रहा। जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम अधिकार डॉक्टर अनुराधा ने बताया कि बहरापन कैसे हो सकता है, कैसे हम इसे रोक सकते हैं और इसके क्या लक्षण होते हैं इस पर ध्यान देना चाहिए। कान को चोट इत्यादि से बचाना चाहिए, ज्यादा शोर वाले स्थानों पर जाने से बचें, कभी भी संगीत को ज्यादा ध्वनि में ना सुने, यदि आप किसी शोर-शराबे की जगह काम करते हैं तो ईयर प्लग का प्रयोग करें, कान का मैल कभी भी खुद नहीं निकालना चाहिए, इन सभी कारणों से सुनने की क्षमता कम हो सकती है या पूर्णतया जा सकती है।
कानों में किसी भी प्रकार की बीमारी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, समय रहते यदि हम उचित चिकित्सा सहायता ले लें तो बहरेपन को काफी हद तक रोक सकते हैं ढ्ढ उन्होंने आगे बताया के जन्म के बाद ही छोटे बच्चों में उसके शैशवकाल से ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चा ठीक ढंग से सुन पा रहा है या नहीं इसके लिए आशा कार्यकर्ता द्वारा छोटे बच्चों की घर पर देखभाल करने का कौशल सिखाया गया है, जिसके अंतर्गत आशा कार्यकर्ता जन्म से लेकर 18 महीने तक समय-समय पर बच्चे के विकास पर नजर रखती हैं ताकि किसी भी प्रकार की समस्या हो तो समय पर उसका इलाज करवाया जा सके, कानों में किसी भी प्रकार का संक्रमण या दिक्कत होने पर जल्दी से जल्दी डॉक्टरी सहायता लेनी चाहिए है ताकि ताकि बहरेपन बहरेपन को रोका जा सके ढ्ढ गर्भवती माता में मिसल रूबेला के टीकाकरण से भी इस पर लोग रोक लगाई जा सकती है
कार्यक्रम में उपस्थित जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी श्रीमती जगदंबा मेहता ने बताया की बहरेपन के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं गर्भावस्था में मिस्र रूबेला होने से भी बहरापन हो सकता है गर्भावस्था के दौरान थायरोक्सिन की कमी से गर्भावस्था के दौरान कुछ ऐसी, एंटीबायोटिक जैसे स्ट्रेप्टोमाइसिन अमीकासिन आदि दवाइयां के सेवन, शिशु में सही पोजीशन में अगर दूध न पिलाया जाए तब भी बच्चों में कान से पस निकलने और बहरापन जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं अगर कानों में किसी भी नुकीली चीज से छेड़छाड़ करने पर या मैल निकालने कान का पर्दा फट सकता है और बहरापन भी हो सकता है कान पर जोर से थप्पड़ या चोट से भी कानों में नुकसान हो सकता है। इस जागरूकता शिवर का उद्देश्य है सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी आशा वर्कर्स और सेवा प्रदाताओं के माध्यम से जानकारी को लोगों तक पहुंचाने का आह्वान किया गया आज के कार्यक्रम का का उद्देश्य है की भावनाओं को और इन लक्षणों को हम कैसे पहचान सकते हैं और इन लक्षणों को कैसे रोका जा सकता है बचपन में बहरेपन की पहचान से बच्चों में जल्दी होने से कोलिया ट्रांसप्लांट भी करवाया जा सकता है।