सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए फर्जी डिग्री मामला : राजिंदर राणा

हिमाचल सरकार का पहला बजट सत्र समाप्त हो चुका है। इस दौरान प्रदेश के कई मुद्दों को लेकर सदन गरमाया। सदन में एक बार फिर फर्जी डिग्री का मामला गूंजा और इस मसले को सदन में उठाया सुजानपुर से विधायक राजेंद्र राणा ने। फर्जी डिग्री मामले और सदन में गूंजे अन्य मसलों को लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट द्वारा सुजानपुर विधायक राजिंदर राणा से खास चर्चा की गयी। पेश है चर्चा के मुख्य अंश......
सवाल : इस बजट सत्र में भी आपने फर्जी डिग्री मामला उठाया, इस मामले में क्या नए अपडेटस आए है ?
जवाब : मैंने 2020 में भी पिछली सरकार में इस मामले को उठाया था। 2007 के दिसंबर महीने में भाजपा की सरकार प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में बनी और 2008 में भाजपा की सरकार प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट लेकर आई जिसमें प्राइवेट यूनिवर्सिटी खोलने को लेकर कई शर्तें तय हुई थी। जिस व्यक्ति द्वारा मानव भारती विश्वविद्यालय खोला गया था उस व्यक्ति द्वारा दो बार अप्लाई किया गया, लेकिन कैबिनेट में इनका मामला रिजेक्ट हो गया। विश्वविद्यालय खोलने के लिए 50 बीघा भूमि की शर्त थी लेकिन उस व्यक्ति के पास केवल 30 बीघा ही भूमि थी। मैंने सदन में कहा कि तीसरी बार ऐसी कौन सी बात या डील हुई जो इनको विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति दे दी गई। 1998 में राजकुमार राणा ने हिमाचल के बिलासपुर, हमीरपुर और सोलन में वोकेशनल कोर्स शुरू करने की मान्यता ली और उसे मिली भी। उस समय पर भी इसके ऊपर 420 के मामले दर्ज हुए और यहाँ से भाग कर यह व्यक्ति हरियाणा चला गया और करनाल में इसके द्वारा यह गोरखधंधा फिर से शुरू किया गया। यदि व्यक्ति की आपराधिक पृष्ठभूमि थी तो उसे ऐसी यूनिवर्सिटी को शुरू करने कैसे दी गई। हिमाचल में 17 निजी विश्वविद्यालय खोल दिए गए, सोलन में एक पंचायत में तीन यूनिवर्सिटी खोल दी गई है। हिमाचल एक छोटा राज्य है यहाँ इन विश्वविद्यालयों में बच्चे कहाँ से आएंगे। मानव भारती के अलावा भी अन्य प्राइवेट यूनिवर्सिटी संदेह के घेरे में आ जाती है। शांता कुमार के द्वारा भी इस मुद्दे को कई बार उठाया गया है। मैंने यह भी कहा कि मेरी जानकारी के मुताबिक जो जाँच हुई है उसके अनुसार 5 से 6 लाख फर्जी डिग्रियां बेचीं गई है, हालाँकि पुलिस द्वारा की गई जाँच में 41 हज़ार डिग्री की जाँच हुई जिसमें 36 हज़ार फर्जी पाई गई है। इसका मतलब है कि करीब 5 लाख डिग्रियां बिक चुकी है। यदि एक डिग्री 4 लाख के अनुसार भी बेची गई होगी तो यह 20 हज़ार करोड़ का घोटाला है। हिंदुस्तान के विभिन्न राज्यों में यह डिग्रियां बेचीं गई है और विदेश तक में यह डिग्रियां बेचीं गई है। फर्जी डिग्री लेकर जो व्यक्ति किसी कॉलेज में प्रोफेसर लगेगा, तो वो अनपढ़ आदमी दूसरों को क्या पढ़ायेगा। यह देश के नौजवानों के साथ और देश के साथ गद्दारी है। भाजपा ने जो लोग गिरफ्तार किये उनकी जमानत हो गई। यदि उस व्यक्ति की जमानत हो गई तो पुलिस और सरकार डबल बेंच पर क्यों नहीं गई या सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गई। इस लिए यह मामला सीबीआई का बनता है और इसलिए मैंने इस मामले को सीबीआई को देने की बात सदन में कही है। शांता कुमार भी स्टेटमेंट देते रहे है कि असली गुनाहगार तो बहार घूम रहे है और उन पर हाथ नहीं डाला जा रहा है। इस मामले को सीबीआई को दिए जाना चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों ने 2008 में एक आपराधिक पृष्ठ्भूमि वाले व्यक्ति को विश्व विद्यालय खोलने की इजाजत दी थी और शर्तें पूरी न होते हुए भी इजाजत दी गई थी, उस समय की इस्टैब्लिशमेंट के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए। उनके खिलाफ जाँच न होना और उनके खिलाफ एफआईआर न होना भी सवाल खड़े करता है। इसे लेकर हमारे द्वारा सीबीआई जाँच की मांग की गई है और शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री से इस विषय को लेकर चर्चा करेंगे और इस विषय को आगे बढ़ाएंगे।
सवाल : कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद कई आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी चली गई, इस पर आप क्या कहेंगे ?
जवाब : देखिए जो आउटसोर्स से सम्बंधित प्रश्नों के जवाब सदन में आ चुके है। आउटसोर्स की बात की जाए तो एक ऐसी कंपनी प्रदेश में काम कर रही थी जिसने हज़ारों करोड़ों रूपए वहां से कमाया, अब एजेंसी बदल गई क्यूंकि उसका कॉन्ट्रैक्ट पीरियड पूरा हो चुका है तो उसमें विपक्ष को हल्ला करने की जरूरत नहीं है। कर्मचारियों की बात करें तो पांच वर्षों तक इनकी सरकार रही तब इन्होंने क्या किया, तब क्या इनकी सरकार सो रही थी। अब कौन से पंडित ने इन्हें मुहूर्त निकाल कर दिए कि अब आप इस विषय को लेकर आवाज़ उठाइए। यह केवल सुर्ख़ियों में बने रहने की बात है और कुछ नहीं है।
सवाल : भाजपा कह रही है कि जो कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो चुके है उन्हें रिन्यू किया जाना चाहिए था, कर्मचारियों की नौकरियां नहीं जानी चाहिए थी, इसपर आप क्या कहेंगे?
जवाब : जिस व्यक्ति को टेंडर दिए गया था उसका कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो चुका है और जो कर्मचारी थे उन्हें फिर से नौकरी पर रखा जाएगा।
सवाल : लोकतंत्र प्रहरी सम्मान योजना को बंद करने को लेकर भी विपक्ष द्वारा खूब हंगामा किया गया, आप क्या मानते है, यह सम्मान राशि दिया जाना ठीक था या नहीं ?
जवाब : विपक्ष के साथियों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि सत्ता में जो पार्टी आती है वह कुछ लोगों को कमिटमेंट करके आती है। सत्ता परिवर्तन जब होता है तो नई सरकार यह देखती है कि उन्हें सरकार कैसे चलानी है। यदि पिछली सरकार ने कुछ गलत कार्य किये है और कोई गलत फैसले लिए है तो उनको ठीक करना नयी सरकार का कार्य है और वह सरकार कर रही है।
सवाल : भाजपा कह रही है कि देश में जब इमरजेंसी लगी थी तब जो लोग जेल गए थे उन लोगों को सम्मान देने के लिए इस योजना को चलाया गया था। क्या कांग्रेस इमरजेंसी का समर्थन करती है ?
जवाब : इमरजेंसी किन हालातों में लगाई गई थी इन विषयों पर जाने की जरूरत है। जब देश में हालात बेकाबू हो जाये तो इमरजेंसी जैसी स्थिति होती है और राष्ट्रपति शासन लगता है। यह कोई नयी बात नहीं है और हालातों के अनुसार फैसले लेने पड़ते है। हम न समर्थन कर रहे है और न विरोध कर रहे है जैसे उस समय की स्थिति होगी उस हालत को देखते हुए सरकारों ने फैसला लिया होगा।