पवन पुत्र हनुमान ने पैर से छुआ था इस स्थान को
मंगलवार, पवनपुत्र हनुमान का दिन माना जाता है और इसी को ध्यान में रख कर आज हम आपको संजीवनी हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। रामायण के अनुसार, जब भगवान हनुमान जादुई जड़ी बूटी 'संजीवनी बूटी' प्राप्त करके हिमालय से लौट रहे थे, तब उनका पैर कसौली पहाड़ी से छू गया था। इसी स्थान पर मौजूद है संजीवनी हनुमान मंदिर। हिमाचल प्रदेश जिला सोलन के कसौली की सबसे ऊंची चोटियों में एक मंकी प्वाइंट है जो कसौली बस स्टॉप से 4 किमी की दूरी पर पड़ता है। संजीवनी हनुमान मंदिर लोअर मॉल क्षेत्र के करीब 'द एयर फोर्स स्टेशन' में स्थित, इस पहाड़ी पर विराजमान भगवान हनुमान को समर्पित एक छोटा सा मंदिर है।
इस पहाड़ी की चोटी एक पैर की आकृति में है और मंदिर भगवान के पैरों के निशान के साथ उत्कीर्ण है। वास्तविक रूप में पहाड़ी शीर्ष बिंदु को मैनकी प्वाइंट का नाम दिया गया है, लेकिन आज लोग इसे बंदर बिंदु कहते हैं। यह बिंदु एक स्थानीय ग्रामीण पुजारी मानके के नाम पर है, जिसने पूजा के लिए भगवान हनुमान के लिए एक मंदिर बनाया था और यही कारण है कि इस स्थान का नाम मंकी पॉइंट रखा गया है।
- पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह पहाड़ी की चोटी एक पैर के आकार की है।
- मंदिर में भगवान हनुमान की एक मूर्ति है जिसमें भगवान ने संजीवनी पर्वत को अपने बाएँ हाथ में एक गदा लिए हुए दिखाया है।
- मंदिर में एक शिवलिंग भी है।
- इस जगह पर प्रबंधन और संचालन भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाता है। भारत की वायु सेना द्वारा प्रबंधित, आगंतुकों को इस स्थान पर जाने के लिए पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है।
- मंदिर वायु सेना के क्षेत्र में स्थित है, इसी लिए अपना फोटो पहचान पत्र लाना न भूलें जिसके बिना मंदिर में प्रवेश करना मुश्किल है।
- एयरफोर्स बेस के एक बड़े गेट पर मोबाइल फोन और कैमरे जमा कर दिए जाते हैं। सेना के प्रतिबंधों के कारण,मंकी पॉइंट के अंदर कैमरे व मोबाइल फ़ोन ले जाने की अनुमति नहीं है।
- गेट से गुजरने के बाद, मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 300-400 मीटर की सीधी सड़क व लगभग पाँच सौ मीटर की खड़ी चढ़ाई है।
- पहाड़ी पर वायु सेना अधिकारी की पत्नियों द्वारा संचालित एक रेस्तरां है जहाँ आप फास्ट फूड और चाय, कॉफी प्राप्त कर सकते हैं।रेस्तरां के पास ही एक प्रसाद की दुकान है।
- मंदिर की और जाते समय आपको कई बंदर मिल जाएंगे,जिन्हें कोई भी खाने की वस्तु देना वर्जित है।
- आगंतुक टैक्सी या कार, या पैदल मार्ग से इस मंदिर तक पहुँच सकते हैं। माल रोड से इस गंतव्य तक पैदल जाने में लगभग दो घंटे लगते हैं।