गगरेट : पशुओं में फैला लंपी स्किन रोग, सैकड़ों पशु चपेट में
*जिला ऊना में 4500 संक्रमित
*1100 हो चुके है रिकवर
गगरेट विधानसभा के करीब 10-15 गांवों में इन दिनों पशुओं पर लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) का खासा प्रकोप देखने को मिल रहा है। इसके कारण पशुपालन विभाग में खलबली मच गई है। इससे जिला ऊना में अब तक करीब 4500 गौवंश संक्रमित हो चुके हैं जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1100 रिकवर भी हो चुके है लेकिन खासकर गांवों में गोवंश इससे अधिक पीड़ित हो रहे हैं। रायपुर निवासी सुमित कुमार, धर्मवीर, तेजपाल और सतीश पशुपालक ने बताया कि गायों को हल्का बुखार आते ही पूरे शरीर पर मोटी-मोटी गांठ बन जाती है जिसमें धीरे-धीरे ये मोटी गांठ घाव का रूप ले लेती हैं। बाद में गाय के शरीर में बने घाव बड़ा रूप ले लेते हैं। चितिंत पशुपालक सरकारी चिकित्सकों को बुलाकर गायों का उपचार करा रहे हैं। उपचार कराने के बावजूद लंपी रोग जल्दी गायों का पीछा नहीं छोड़ रहा है जिसके चलते पशुपालक बहुत ही चितिंत हैं ।
*समाज सेवी संस्था विभाग के साथ मिल कर कर रही जागरूक
क्षेत्र की समाज सेवी संस्था एक मौका एक उम्मीद पशुपालकों को विभाग के साथ मिल कर जागरूक करने का काम कर रही है। बुधवार को क्षेत्र के मवा में संस्था ने बड़ेढा राजपूत में सरकारी पशुचिकित्सालय में तैनान पशुचिकित्सक डॉ अनिल गुलेरिया की अगुवाई में पशु पालकों के लिए जागरूकता शिविर लगया जिसमें डॉ गुलेरिया ने कहा कि पशुपालकों के लिए डरने की कोई बात नहीं है। प्रभावित पशुओं के दूध का उबाल कर सेवन किया जा सकता है। यह बीमारी स्वस्थ पशुओं में न फैले इसके लिए पशुओं का आवागमन बंद कर देना चाहिए। पीड़ित पशुओं को अलग बांधकर रखना चाहिए। वायरल बीमारी होने के कारण प्रभावित पशुओं का इलाज केवल लक्षणों के आधार पर रोग से बचने के लिए एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिनिक दवाएं दी जा रही है।
*अभी तक 36 पशुओं की हुई है मौत
वहीँ, जिला नोडल ऑफिसर डॉ राकेश भट्टी ने बताया कि जिला ऊना में 4500 पशु संक्रमित हो चुके है जबकि इनमें 1100 पशु रिकवर हो चुके है। इसके अलावा गगरेट ब्लॉक में 1234 पशु संक्रमित हुए है इनमें से 333 रिकवर हो चुके है जबकि 36 पशुओं की मौत हो गई है।उन्होंने बताया कि विभाग पुरी मुस्तेदी से इस कार्य मे लगा हुआ है कि पशु पालकों के पशुओं को समय पर उपचार मिल सके। उन्होंने बताया कि बुधवार को विभाग की टीम ने गगरेट की तीन गौशालाओं में डी फोमिग स्प्रे का कार्य करवाया ताकि संक्रमण को रोका जा सके।