सरदार पटेल विश्वविद्यालय को बंद करने पर तुली है सरकार : एबीवीपी

कहा- राजनीति करने की जगह एसपीयू के विकास की बात करें शिक्षा मंत्री
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कांगड़ा विभाग के संयोजक अभिनव चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री यदि राजनीति करने की जगह एसपीयू के लिए विकास कार्य करते तो उन्हें शिक्षा की गुणवत्ता समझ आती। शिक्षा मंत्री ने हाल ही में दिए अपने बयान में कहा है कि पूर्व सरकार ने सरदार पटेल विश्वविद्यालय को केवल राजनीतिक लाभ देखते हुए खोला और वर्तमान में वहां पर स्थायी शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारी भी नहीं हैं। लेकिन दस महीनों से कांग्रेस की सरकार है और वर्तमान सरकार ने एक बार भी विश्वविद्यालय के भवन निर्माण से लेकर विद्यार्थियों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं की सुध तक नहीं ली।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार विद्यार्थियों के साथ धोखा करते हुए सरदार पटेल विश्वविद्यालय को बंद करने पर तुली हुई है। हाल ही में प्रदेश सरकार ने विश्वविद्यालय का दायरा घटाने का फैसला लिया है जो बिल्कुल भी छात्र हित में नहीं है। सरदार पटेल विश्वविद्यालय प्रदेश का दूसरा विश्वविद्यालय है और यह पूरे प्रदेश की बहुत बड़ी मांग है। दूर दराज के क्षेत्र से शिमला पहुंच पाना बहुत ही मुश्किल है और दूर-दराज से पढ़ने वाले छात्रों को यदि कोई आवश्यक काम आ जाए तो उन्हें काफी लंबा सफर तय करना पड़ता है।
विद्यार्थी परिषद ने प्रदेश के लाखों युवाओं के साथ इस विश्वविद्यालय के लिए लंबी निर्णायक लड़ाई लड़ी है 7 वह जिस प्रकार की राजनीति प्रदेश की सरकार कर रही है तो विद्यार्थी परिषद प्रदेश सरकार को यह चेतावनी देना चाहती है की अगर सरदार पटेल विश्वविद्यालय को खोलने के लिए हजारों विद्यार्थियों के साथ छात्र हुंकार रैली कर सकती है तो हजारों विद्यार्थियों द्वारा लंबी लड़ाई के बाद खोले गए इस विश्वविद्यालय को बचाने के लिए प्रदेश के हजारों युवाओं को एकत्रित कर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने से पीछे नहीं हटेगी वह प्रदेश सरकार से यही आग्रह करती है कि वह राजनीति का खेल नबनाते हुए विश्वविद्यालय को एक शिक्षण संस्थान ही रहने दें।
जो फैसला विश्वविद्यालय का दायरा घटाने का लिया गया है उसे जल्द से जल्द वापस ले नहीं तो विद्यार्थी परिषद आने वाली 8 तारीख को हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक जिला केंद्रों पर धरना प्रदर्शन करेगी। 11 सितंबर को 24 घंटे की भूख हड़ताल प्रत्येक महाविद्यालय में करेगी। और अगर इस छात्र विरोधी फैसले को वापस नहीं लिया गया तो विद्यार्थी परिषद उग्र से होकर आंदोलन करेगी, जिसका खामियाजा प्रदेश की वर्तमान सरकार को भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने कहा अगर बात केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थाई परिसर की की जाए तो केंद्रीय विश्वविद्यालय देहरा और धर्मशाला निर्माण का टेंडर ओर काम एक साथ शुरू हुआ था देहरा में हम देख सकते हैं विश्वविद्यालय का काम जोरों शोरों से चला है एक मंजिला भवन भी तैयार हो चुका है।
लेकिन धर्मशाला में 24 हेक्टेयर जमीन जो विश्वविद्यालय के अपने नाम है और 57 हेक्टर लैंड फॉरेस्ट लैंड है, जिसकी क्लीयरेंस के लिए सरकार को 30 करोड़ 3 लाख 94 हजार रुपये मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरमेंटल साइंस एंड फॉरेस्ट्री को देते ही यहां भी कार्य शुरू हो जाएगा, लेकिन इस सरकार को तो शिक्षण संस्थान डी नोटिफाई करने आते हैं स्थायी परिसर के निर्माण हेतु 30 करोड़ रुपये इस सरकार द्वारा नहीं दिए जा रहे।
उन्होंने कहा वर्तमान की छात्र विरोधी कांग्रेस सरकार प्रदेश में सिर्फ और सिर्फ बदले की भावना से कम कर रही है शिक्षण संस्थानों को डिनोटिफाई किया जा रहा है और प्रदेश के महाविद्यालय के आधारभूत संरचना की और ध्यान नहीं दिया जा रहा महाविद्यालय में रिक्त पड़े शिक्षक और गैर शिक्षकों के पद इस प्रदेश सरकार द्वारा नहीं भरे जा रहे। छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार छात्र संघ चुनावों को बहाल नहीं किया जा रहा जो इनकी छात्रों के प्रति नकारात्मक मानसिकता को दर्शाता है।