भाषाध्यापक और शास्त्री अध्यापकों को टीजीटी पदनाम दे सरकार

फर्स्ट वर्डिक्ट। कुनिहार (सोलन)
सीएंडवी अध्यापक संघ चिरकाल से चली आ रही महत्वपूर्ण मांग को भारत सरकार के "भारत राजपत्र" के अधीन शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की अधिसूचना के अन्तर्गत विद्यालय में कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए कुछ मापदंड/पात्रता नियम तय किये हैं। इन सभी मापदण्डों का विस्तृत आलेख राजपत्र की अधिसूचना 23/08 /2010 संख्या नई दिल्ली अगस्त 25, /2010 / BHADRA 3.1932 में किया गया है। इस अधिसूचना के अनुसार पैरा नम्बर (1) और पैरा नम्बर (2) में पात्रता निर्धारण के साथ विभाग में नियुक्त होने वाले अध्यापकों को तीन श्रेणियीं में विभक्त किया गया है।
(1) 3 सितंबर 2001 से पहले नियुक्त अध्यापक
(2) 3 सितंबर 2001 से 1 जनवरी 2012 तक नियुक्त अध्यापक।
(3) 1 जनवरी 2012 के बाद नियुक्त होने वाले अध्यापक।
उपरोक्त तीनो श्रेणियों के लिये इस अधिसूचना के पैरा नम्बर 2 और 4 में वांछनीय और अनिवार्य योग्यता निर्धारण किया गया है कि 23/08 /2001 से पहले कार्यरत अध्यापकों की योग्यता को प्रथम नियुक्ति के समय वांछनीय योग्यता को ही टीजीटी पदनाम हेतु यथावत समझा जाएगा और उन्हें कोई भी विशेष शिक्षण - प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता नही है। 3 सितंबर से 1 जनवरी 2012 के मध्य विभाग में सेवारत अध्यापकों को सरकारी स्तर पर छः महीने का दूरवर्ती विशेष अध्यापक पात्रता प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा। जनवरी 2012 के बाद नियुक्त सभी अध्यापकों को बीएड होना अनिवार्य है। अब हिमाचल प्रदेश में निशुल्क शिक्षा और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 शिक्षा नीति का पालन किया जा रहा है और इस नीति में किये गए प्रावधानों के अनुसार ही विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति की जा रहा है, ऐसा जवाब संघ को इस मांग के संदर्भ में विभाग के उच्चाधिकारियों से बार बार दिया जा रहा है,जबकि विद्यालय में कार्यरत अध्यापकों की दिशा और दशा कुछ और है। अभी भी हमारे वर्ग को इस अधिसूचना में वर्णित और निर्धारित प्रावधानों के अनुसार योग्यता पूरी रखने के बाद भी पद नाम नही दिया गया है। सीएन्डवी प्रदेश राज्य अध्यक्ष दुर्गा नद शास्त्री ने यंहा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा,कि संघ सरकार से विनम्र आग्रह करता है कि आप हिंदी और संस्कृत अध्यापकों को इस अधिसूचना की अनुपालना करते हुए टीजीटी पदनाम देने का प्रवधान करे अधिसूचना में किये गए प्रावधानों के अनुसार ही विद्यालय में कार्यरत अध्यापकों को पद नाम देने की भी व्यवस्था करें या अनुभव के आधार पर विशेष व्यवस्था कर इन सभी अध्यापकों को टीजीटी पदनाम प्रदान करे। ताकि वर्षों से एक सम्मान जनक पद की आस लगाए बैठे हजारों हिंदी - संस्कृत अध्यापक टी० जी० टी० पद नाम प्राप्त कर अपनी पदोन्नति की राह प्रशस्त कर सकें।
समस्त राज्य के हिंदी,संस्कृत अध्यापक प्रदेश सरकार की ओर ऐसे निहार रहे हैं जैसे प्यासा पपीहा बादलों को निहारता है।
संघ को पूर्ण विश्वास है कि हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्य मंत्री व माननीय शिक्षा मंत्री इस मामले पर गम्भीरता से विचार करेंगे और संघ की इस मांग पर संघ को एक अमूल्य भेंट दे कर कृतार्थ करेंगे।