शिमला : राज्यपाल ने विद्यार्थियों को बाल रक्षा किट बांटीं

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भारत में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बहाल करने पर बल देते हुए कहा कि आयुर्वेद की उपयोगिता के कारण इस चिकित्सा पद्धति को विश्व भर में विशेष पहचान मिली है और विश्व का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ है। राज्यपाल ने आज यहां आरोग्य भारती शिमला द्वारा आयोजित बाल रक्षा किट नि:शुल्क वितरण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यह बात कहीं। कार्यक्रम का आयोजन हिमाचल शिक्षा समिति और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली के सहयोग से किया गया।
उन्होंने कहा कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम पूरे देशभर में आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा की एक पारंपरिक पद्धति है, जिसकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि यह कभी खत्म नहीं हुई, क्योंकि यह हमारी संस्कृति से जुड़ी हुई है।
उन्होंने कहा कि यह (आयुर्वेद) हमसे दूर नहीं गया। हम अपने घर के आंगन में लगाए गए औषधीय पौधों का उपयोग करते हुए पले बढ़े और स्वस्थ रहे। हमारे घर के आंगन में तुलसी का पौधा आज भी उगाया जाता है।
राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल में वैद परंपरा बहुत पुरानी है और वे जड़ी-बूटियों के उचित उपयोग में माहिर हैं। उन्होंने कहा कि जीवन शैली का जो रास्ता हमने छोड़ा है, उसे फिर से अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमने अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को एक विकल्प के रूप में माना है, जबकि यह उपचार की मुख्य पद्धति है। उन्होंने कहा कि आज देश में इसे आगे बढ़ाया जा रहा है और भविष्य में एकीकृत चिकित्सा पद्धति पर विचार किया जा रहा है, जिसके तहत एलोपैथिक, आयुर्वेद, होम्योपैथी को मिलाकर एकीकृत चिकित्सा की दिशा में कार्य किया जा रहा है।