राजधानी शिमला स्वच्छता रैंकिंग से बाहर; 300 शहरों में भी नहीं आया नाम

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला देश के सबसे स्वच्छ शहरों में से एक था, लेकिन लगातार पिछड़ती रैंकिंग ने शहर के स्वच्छता अभियान पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में जारी हुई स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट में शिमला को 347वां स्थान मिला है, जो इसकी अब तक की सबसे खराब रैंकिंग है। यह वही शहर है जो साल 2016 में देश के शीर्ष 30 स्वच्छ शहरों की सूची में 27वें नंबर पर था। शिमला की यह गिरावट एक दिन में नहीं हुई है, बल्कि पिछले कुछ सालों से यह सिलसिला जारी है। साल 2017 में 47वां, 2018 में 144वां, 2019 में 127वां और 2020 में 65वां स्थान मिला था। 2023 में शिमला को 56वां रैंक मिला था लेकिन 2024 में यह एकदम से नीचे गिरकर 188वें रैंक पर आ गया। और अब यह 347वें स्थान पर हैं।
इस साल शिमला को कुल 4798 अंक मिले। इस गिरावट का एक बड़ा कारण यह है कि रैंकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली हाई-टेक मशीनरी का सही उपयोग नहीं हो रहा है। शहर में करोड़ों रुपये की मशीनरी होने के बावजूद, सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है। रैंकिंग में गिरावट का एक और बड़ा कारण जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को माना जा रहा है। शहर में नियमित सफाई अभियान नहीं चलाए जा रहे हैं। जनता की भागीदारी भी कम हो गई है। हालांकि, शहर के नागरिकों ने सर्वेक्षण में शहर की सफाई व्यवस्था को अच्छा बताया, जिससे शिमला को कुछ अंक मिले। शिमला स्वच्छ वातावरण के लिए जाना जाने वाला शहर था, इसी स्वछता के लिए लोग शिमला आना पसंद करते थे। लेकिन इस खराब प्रदर्शन के कारण यह खूबसूरत शहर अपनी पहचान खोता जा रहा हैं।