कर्नल' की जगह होगी 'कर्नल' की एंट्री.....

मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल के पुत्र कर्नल संजय शांडिल की सियासत में एंट्री की अटकलें
पिता की राजनैतिक विरासत को संभालते दिख सकते है संजय
सोलन में कांग्रेस की दूसरी पंक्ति कमजोर, विरासत भुनाने को संजय को आगे ला सकती है पार्टी
सोलन कांग्रेस में 'कर्नल' के बाद 'कर्नल' की एंट्री हो सकती है। माना जा रहा है कि सोलन से कांग्रेस विधायक और कैबिनेट मंत्री डॉ कर्नल धनीराम शांडिल की सियासत विरासत उनके परिवार में ही रहेगी। कर्नल धनीराम शांडिल के पुत्र कर्नल संजय शांडिल बीते शुक्रवार को रिटायर हो गए है और बताया जा रहा है कि जल्द उनकी सियासत में औपचारिक एंट्री होगी, यानी वे कांग्रेस की सदस्यता लेंगे। हालांकि इसके लेकर अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आई है, लेकिन सूत्रों की माने तो जल्द कर्नल संजय शांडिल कांग्रेस का दामन थामेंगे।
आपको बता दें कर्नल धनीराम शांडिल अर्से से सोलन में कांग्रेस का मुख्य चेहरा है और विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक भी लगा चुके है। कर्नल शांडिल दो बार सांसद भी रहे है और वर्तमान में दूसरी बार मंत्री है। कर्नल धनीराम शांडिल न केवल हिमाचल प्रदेश में बड़ा एससी चेहरा है, बल्कि पार्टी आलाकमान के भी बेहद करीबी है। किन्तु कर्नल 84 वर्ष पार कर चुके है और अगले विधानसभा चुनाव में वे 87 पार होंगे। ऐसे में उनके चुनाव लड़ने की सम्भावना न के बराबर है। उनकी जगह कौन लेगा, इसके लेकर लम्बे वक्त से अटकलें लगती रही है।
दरअसल, सोलन आरक्षित सीट है और हकीकत ये है कि सोलन में कांग्रेस के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं दिखता जो कर्नल धनीराम शांडिल की जगह ले सके। सोलन में कांग्रेस की सेकंड लाइन ऑफ लीडरशिप बेहद कमजोर है, और जो मजबूत चेहरे है वो आरक्षित वर्ग से नहीं आते। ऐसे में माहिर मानते है कि कर्नल संजय शांडिल भविष्य में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते दिख सकते है, ताकि कर्नल धनीराम शांडिल की विरासत को भुनाया जा सके।
बहरहाल ये तय माना जा रहा है कि कर्नल धनीराम शांडिल अपनी सियासत विरासत अपने पुत्र को सौंपने जा रहे है। पिछले कुछ वक्त से कर्नल संजय शांडिल की बढ़ती सामाजिक उपस्थिति से इसके संकेत मिल रहे थे और बताया जा रहा है कि अब रिटायरमेंट के बाद वे औपचारिक तौर पर कांग्रेस का दामन थामेंगे।
तो जीजा - साला होंगे आमने -सामने !
एक दिलचस्प बात ये भी है की अगर भविष्य में कर्नल संजय शांडिल कांग्रेस से चुनाव लड़ते है और भाजपा भी अपना उम्मीदवार नहीं बदलती, तो ससुर -दामाद के बाद सोलन में जीजा -साला, आमने -सामने चुनाव लड़ते दिखेंगे। ये सम्भावना इसलिए भी प्रबल है क्योंकि भाजपा के पास भी सोलन में डॉ राजेश कश्यप के मुकाबले कोई अन्य मजबूत विकलप नहीं दिखता। बहरहाल ये सब कयास है, लेकिन सियासत में कुछ भी मुमकिन है।