हिमाचल ने नहीं रोका दिल्ली का पानी, सुप्रीम कोर्ट में दायर किया शपथ पत्र
राजधानी दिल्ली में पानी के संकट को लेकर हिमाचल ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। हिमाचल ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर पानी न रोकने की बात कही है। शपथ पत्र में यह भी कहा कि दिल्ली को पेयजल पहुंचाने के लिए यमुना का पानी मापा जाएगा। पानी को मापने के लिए अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूआईआरबी) ने टीम की तैनाती की है। इसके सहयोग के लिए हिमाचल सरकार ने भी दो अधिकारी नियुक्त कर लिए है। ये अधिकारी नाहन सर्कल के अधीक्षण अभियंता और योजना एवं अन्वेषण यूनिट 2 के अधीक्षण अभियंता हैं। वह जहां यूआईआरबी की टीम को डाटा उपलब्ध करवाएंगे, वहीं यह निगरानी भी करेंगे कि पानी को ठीक से मापा गया है कि नहीं। इसमें दिल्ली को जलापूर्ति के साथ हिमाचल के हितों को देखा जा रहा है कि नहीं, इस पर भी ध्यान देंगे।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार दिल्ली सरकार के साथ किए गए समझौते के अनुसार दिल्ली को पानी देने के लिए प्रतिबद्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पानी की कमी के चलते हिमाचल को अतिरिक्त पानी छोड़ने के निर्देश दिए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा स्पष्ट कर चुके हैं कि हिमाचल ने पानी नहीं रोका है। पानी देने के लिए सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। वर्ष 2019 में हिमाचल सरकार और दिल्ली के बीच एमओयू साइन हुआ था। इसके मुताबिक 137 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है।
हरियाणा सरकार का आरोप है कि दिल्ली के लोगों की प्यास बुझाने के लिए अभी तक हिमाचल ने 137 क्यूसिक पानी देना आरंभ नहीं किया है। वहीं, हिमाचल के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में कहीं कोई रुकावट नहीं है। जितना भी अतिरिक्त पानी है, उसे दिल्ली के लिए छोड़ा जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में यमुना नदी और इसकी सहायक उपनदियों पर कहीं कोई बांध नहीं है और न ही बैराज है। ऐसे में पानी रोके जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। हरियाणा के आरोप के बाद अब हिमाचल ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर किया है। जल शक्ति विभाग की इंजीनियर इन चीफ अंजू शर्मा ने कहा कि पानी देने में विभाग को कोई दिक्कत नहीं है। पानी को किसने नहीं रोका है। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर शपथ पत्र दायर कर दिया है।