सिरमौर के गिरिपार में बूढ़ी दीवाली की धूम, नाटी और स्वांग से गूंज रहीं वादियां
सिरमौर जिले के गिरीपार हाटी जनजातीय क्षेत्र में इन दिनों खुशी का माहौल है। लोग ढोल नगाड़ों और हुड़क की धुन पर नाच गा रहे हैं, क्योंकि यहां पर "बूढ़ी दिवाली" पर्व मनाया जा रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में यह पर्व पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। इस पर्व की शुरुआत अमावस्या की रात को मशाल जुलूस से होती है। मान्यता है कि इस जुलूस के साथ बुरी आत्माओं को गांव से भगाया जाता है और लोग देवताओं का गुणगान करते हुए नाचते गाते हैं। इस पर्व से जुड़ी एक कथा यह भी है कि दैत्यराज राजा बलि जब पाताल लोक से धरती पर आए थे, तो उनके आगमन की खुशी में इस क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है। पहाड़ों के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को बड़े प्यार से बनाए रखते हैं। गांव से बाहर रहने वाले लोग भी इस पर्व का हिस्सा बनने के लिए हर हाल में अपने गांव लौटते हैं। यह देखकर अच्छा लगता है कि आजकल की युवा पीढ़ी भी इन परंपराओं से जुड़ी हुई है और इन्हें आगे बढ़ाने में मदद करती है।
