इंदौरा: मिनर्वा कॉलेज में हुआ अतिथि व्याख्यान का आयोजन
मिनर्वा कॉलेज आफ एजुकेशन इंदौरा में 22 अप्रैल को अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि व प्रवक्ता के रूप में कपड़ा मंत्रालय से सेवानिवृत्त कुलविंद्र और उत्पाद शुल्क कराधान अधिकारी सेवानिवृत्त जगदीश राज सैनी ने शिरकत की। संगोष्ठी का संचालन डॉ नीतू महाजन ने किया। कालेज के प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष जरनैल सिंह पटियाल ने मिनर्वा परिवार की तरफ से इस संगोष्ठी में उपस्थित अतिथियों का तहे दिल से स्वागत व अभिनंदन किया।
इस उपलक्ष्य पर श्री कुलविंद्र ने बी.एड के प्रशिक्षु अध्यापकों को बताया कि हस्तशिल्प की जड़ें प्राचीन सभ्यताओं के ग्रामीण शिल्प - सामग्री-सामान की आवश्यकताएं हैं, और कई विशिष्ट शिल्प सदियों से प्रचलित हैं, जबकि अन्य आधुनिक आविष्कार या शिल्प के लोकप्रियकरण हैं जो मूल रूप से एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में प्रचलित थे। आम तौर पर और कभी-कभी किसी विशेष शिल्प या व्यापार की ओर छात्रों के कौशल और रचनात्मक रुचियों को विकसित करने के रूप में देखा जाता है, हस्तशिल्प को अक्सर अनौपचारिक और औपचारिक रूप से शैक्षिक प्रणालियों में एकीकृत किया जाता है। अधिकांश शिल्पों में कौशल के विकास और धैर्य के प्रयोग की आवश्यकता होती है, लेकिन इन्हें वस्तुतः कोई भी सीख सकता है।उसी दौरान जगदीश राज सैनी ने बताया कि किस तरह से उत्पाद शुल्क के लिए सरकार द्वारा फंड दिया जाता हैं। उसका हमें ज्ञान कैसे रखना है उसका हमें पता होना चाहिए।
अंत में कालेज प्राचार्य डॉ प्रशांत कुमार ने कुलविंद्र और जगदीश राज सैनी का धन्यवाद किया कि आपने हमारे कालेज के छात्रौं के समक्ष हस्त कला शिल्प की जानकारी सांझा की। इस संगोष्ठी में सभी अध्यापक वर्ग भी उपस्थित रहे।