इंदौरा: क्रशर बंद होने से श्रमिकों को पड़े खाने के लाले

-बोले, कैसे चलेगा परिवार का खर्चा, बताए सरकार
सरकार के क्रशर बंद करने के निर्णय से जहां विभिन्न निर्माण व अन्य विकास कार्यों पर विराम लगा है, दिहाड़ीदार व अन्य कामगार वर्ग पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। पिछले लगभग ढाई माह से अधिक समय से क्रशर उद्योग बंद होने से उक्त वर्ग को खाने के लाले पड़ रहे हैं। इस बारे क्षेत्र के विभिन्न क्रशर उद्योगों के कामगारों ने सरकार के इस निर्णय को मजदूर वर्ग विरोधी बताया है। यहां दो दर्जन से अधिक की संख्या में एकत्रित हुए क्रशर व अन्य कार्यों से जुड़े लोगों ने कहा कि पिछले दिनों करवा चौथ के व्रत पर आर्थिक तंगी के कारण वे आवश्यक खरीददारी नहीं कर पाए और यदि सरकार ने क्रशर उद्योग का संचालन शुरू नहीं किया तो अब दिवाली के त्योहार भी फीका रहने के आसार हैं।
क्रशर उद्योगों पर चाय का काम करने वाले, वाहनों की मरम्मत करने वाले, लांगरी का काम करने वाले अमरीक सिंह, चैन सिंह, वैल्डर सुरेंद्र पाल, सुरेश बिल्ला व जीवन कुमार आदि ने बताया कि वे उक्त काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन सरकार द्वारा क्रशर बंद किए जाने के कारण महंगाई के इस दौर में आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है, जिसके चलते कामगारों में सरकार के प्रति रोष बढ़ता दिखाई पड़ रहा है।
श्रमिक वर्ग ने सरकार से दीवाली से पहले क्रशर उद्योग चलाने की मांग करते हुए कहा कि यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो सरकार हर माह जब तक क्रशर उद्योग संचालित नहीं किए जाते तब तर न्यूनतम वेतन अथवा भत्ता राशि जारी करने का प्रावधान किया जाए। उन्होंने कहा कि बाढ़ में कामगारों का कोई कसूर नहीं है, लेकिन सरकार के इस निर्णय से उनके परिवारों को सजा मिल रही है।