कहीं बहुत देर तो नहीं कर दी मेहरबां आते -आते !
कहीं बहुत देर तो नहीं हो गई मेहरबां आते आते......चार साल के लम्बे इंतज़ार के बाद कर्मचारियों को संयुक्त सलाहकार समिति का तोहफा मिलने वाला है। दो महीने में दूसरी बार तारीख मिल गई है और 27 नवंबर की दिनांक और सुबह 11 बजे का वक्त तय हुआ है। उपचुनाव में भाजपा को लगे झटके के बाद ही सही मगर सरकार अब सही मायनों में कर्मचारी हितैषी नजर आने लगी है। कोर्ट में लटके हुए मामले हो या कर्मचारियों की लंबित मांगें, मानो अब मुख्यमंत्री सब तेजी से निपटाने में लगे है। इस जेसीसी की बैठक में कर्मचारियों से जुड़े 62 एजेंडों पर चर्चा होनी है। ये 62 एजेंडे सरकार के सामने रखने की जिम्मेदारी अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ को सौंपी गई है। जयराम सरकार के कार्यकाल में चार साल बाद अब ये पहली बैठक होने जा रही है। इस बैठक के बाद सरकार नए पे-कमीशन पर भी ऐलान कर सकती है। जेसीसी बैठक से कर्मचारी वर्ग को खासी उम्मीद है। उपचुनाव के नतीजे सरकार देख चुकी है और 2022 के विधानसभा चुनाव भी अब दूर नहीं है, ऐसे में अपेक्षित है कि सरकार कई लंबित मसलों पर सकारात्मक फैसले ले। सत्ता प्राप्त करने में प्रदेश का कर्मचारी वर्ग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ऐसे में जाहिर सी बात है कि सरकार पर कर्मचारी वर्ग की अपेक्षाओं का बोझ है। वहीं सरकार द्वारा अधिकृत हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ से भी कर्मचारी वर्ग को उम्मीदें रहेगी। यानी दबाव दोतरफा होगा। उधर, सरकार के नज़रिए से देखा जाए तो सरकार की भी अपनी मजबूरी है। कर्मचारी उम्मीदों पर खरा न उतरे तो सत्ता खोने का डर बढ़ जाता है, और यदि कर्मचारियों को नई राहतें - सौगातें दे तो आर्थिक स्थिति खराब होती है। पहले से कर्ज़े में डूबी हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए ये बेहद मुश्किल समय है।
2022 विधानसभा चुनाव का काउंट डाउन शुरू हो चुका है और माना जा रहा है कि जेसीसी बैठक के साथ कर्मचारियों पर मेहरबानी का जो दौर शुरू होगा वो आचार सहिंता लगने तक जारी रहेगा। पर क्या हर पांच साल में निष्ठा बदलने वाला हिमाचल का कर्मचारी चुनावी वर्ष में मिलने वाली राहतों के बाद अपनी वोट रुपी कृपा सत्ता रूढ़ दल पर बनाये रखेगा, ये यक्ष प्रश्न है। सरकार ने जो इन्तजार करवाया है क्या उस लम्बे इन्तजार की टीस बरकरार रहेगी या राहतें मिलने की स्थिति में कर्मचारी बड़ा दिल दिखायेगा, ये देखना दिलचस्प होने वाला है।
इन कर्मचारी मांगो पर रहेगी रहेगी नज़रें :
- कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान देने की मांग
- अनुबंध कार्यकाल दो साल करने की मांग
- अनुबंध कार्यकाल को वरिष्ठता में शामिल करने की मांग
- कर्मचारियों को 4-9-14 साल की सेवा अवधि में टाइम स्केल देना
- कनिष्ठ ऑफिस सहायकों के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन
- महंगाई भत्ते की पांच फीसदी किश्त जारी करने की मांग
- नई पेंशन स्कीम के तहत केंद्र सरकार की 2009 की अधिसूचना के अनुसार निधन या स्थायी अपंगता पर पूरी पेंशन देने की मांग
- केंद्र सरकार की तर्ज पर महिला कर्मियों को बच्चे की देखभाल के लिए दो साल का अवकाश देने का मसला
- कर्मचारियों के अन्य मसले जैसे की प्रतिपूरक भत्ता, पूंजी भत्ता और मकान किराया भत्ता बढ़ाने की मांग
- एनजीओ फेडरेशन के एक प्रतिनिधि को हाउस अलॉटमेंट कमेटी में शामिल करने की मांग
- तीसरी और चतुर्थ श्रेणी के सभी खाली पदों को जल्द भरने की मांग
- आउटसोर्स कर्मचारियों को अनुबंध पर लाने की मांग
- पुलिस कॉन्स्टेबल्स का अनुबंध काल घटाकर 3 वर्ष करने की मांग
- दैनिक वेतन भोगियों को 5 की बजाए 4 साल में नियमित करने की मांग
- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्करों का वेतन बढ़ाने की मांग
- करुणामूलक नौकरियां बहाल करने की मांग
- नव नियुक्त कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18000 करने की मांग
- छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को जल्द लागू करवाना
नए पे कमीशन पर भी रहेगी नजर
जेसीसी की बैठक में नए पे कमीशन पर भी चर्चा हो सकती है। बता दें कि राज्य में पे-कमीशन करीब 4.15 लाख कर्मचारी और पेंशनरों को दिया जाना है। नए पे-कमीशन को लागू करने से पहले इसके बारे में वित्त विभाग मुख्यमंत्री को प्रेजेंटेशन देगा। इस बारे में बीते दिनों भी प्रेजेंटेशन रखी गई थी, जो किसी कारणवश टल गई। अब यह 27 नवंबर को तय हुई जेसीसी से पहले होगी। इससे पहले वित्त विभाग ने पे स्केल वाइज स्टडी कर लिया है, लेकिन फिर भी कुछ पेचीदा मसलों पर फैंसला होना बाकी है। यही वजह है कि जेसीसी बैठक से पहले मुख्यमंत्री के साथ एक बैठक होगी।
कर्मचारियों के लिए 'जिन्न' बने चन्नी, अब जयराम पर दबाव !
वेतनमान को लेकर हिमाचल प्रदेश पंजाब का अनुसरण करता है। पंजाब संशोधित वेतनमान जारी कर चुका है लेकिन प्रदेश में महंगाई भत्ते (डीए) के मामले भी नहीं सुलझ पाए हैं। पंजाब में मुख्यमंत्री बनते ही चरणजीत सिंह चन्नी, पंजाब के कर्मचारियों के लिए 'जिन्न' बन गए है। एक नहीं चन्नी ने कर्मचारियों की कई मांगों को पूरा कर दिया है। पंजाब सरकार ने हाल ही में 36,000 कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। ये सभी कर्मचारी विभिन्न सरकारी विभागों में अनुबंध, तदर्थ, दैनिक वेतन एवं अस्थायी तौर पर काम कर रहे थे। इसी के साथ 2020 से न्यूनतम वेतन में वृद्धि को भी मंजूरी दी गई है। इसमें 415.89 रुपये की वृद्धि की गई है, जिससे यह अब 8776.83 रुपये से बढ़कर 9192.72 रुपये हो गया है। कुछ ही समय पहले पंजाब में 2009 की अधिसूचना को भी लागू किया गया था। यही नहीं बीते दिनों पंजाब सरकार ने दिवाली से पहले कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में भी 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी। अब क्योंकि कर्मचारियों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए हिमाचल पंजाब का अनुसरण करता है, तो जाहिर है मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर पर अपेक्षाओं का दबाव बढ़ गया है।