कांगड़ा: प्राचीन जयंती माता मंदिर में शुरू हुए पंच भीष्म मेले
( words)

-सुबह तीन बजे ही खुल गए मां के मंदिर के कपाट
-मां के दरबार में 5 दिन तक अखंड जलते रहेंगे 5 दीये
कांगड़ा स्थित प्राचीन जयंती माता मंदिर में आज से पंच भीष्म मेले शुरू हो गए हैं। ये मेले हर साल कार्तिक मास की एकादशी से शुरू होते हैं। मंदिर के कपाट आज सुबह तीन बजे ही खुल गए थे। श्रद्धालु सुबह चार बजे से ही मंदिर पहुंचना शुरू हो गए थे। मां के भक्त माता जयंती के जयकारे लगाते हुए मां के दर्शन कर रहे थे। वहीं, पांच दिवसीय मेले को लेकर कांगड़ा प्रशासन भी काफी मुस्तैद है। मां के दरबार को इस बार भी खूबसूरत ढंग से सजाया गया है। इन मेलों के दौरान 5 दिन तक मां के दरबार में पांच दीये अखंड जलते रहेंगे।
पंच भीष्म का महाभारत से है नाता
पंच भीष्म का संबंध महाभारत से जुड़ा हुआ है। जब महाभारत का युद्ध खत्म हुआ, तो भीष्म पितामह शरशैया पर लेटे हुए थे। यहीं से उन्होंने पांडवों को पांच दिन तक राजधर्म का उपदेश दिया। इसकी शुरुआत शुक्ल एकादशी को हुई थी और समाप्ती कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुई थी। शरशैया पर लेटे हुए भीष्म पितामह ने पांडवों को राजधर्म, मोक्ष, वर्ण आदि धर्मों पर उपदेश दिए थे। इस पर भगवार श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर इन पांच दिनों को भीष्म पंचक व्रत के नाम से स्थापित किया। साथ ही कहा कि जो भी इस व्रत को करेगा, वह सभी पापों से मुक्त हो जाएगा और मोक्ष की प्राप्ति करेगा। पंच भीष्म के दौरान घर के आंगन में तुलसी माता की पूजा की जाती है। तुलसी के साथ आंवला और गन्ने को रखकर पूजा की जाती है।