एचआरटीसी कर्मचारी नाराज: न संशोधित भत्ते मिले और न कर्मचारी रेगुलर हुए
![HRTC KARAMCHARIYON KI NARAZGI KHIN BHARI NA PD JAE](https://www.firstverdict.com/resource/images/news/image19806.jpg)
कर्मचारी लहर : बोले क्या लोन लेकर नई बसें खरीदने के लिए बुलाई गई थी बैठक ?
हिमाचल परिवहन निगम के 12 हजार कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरेंगे। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के निदेशक मंडल (बीओडी) में कर्मचारियों की सुनवाई न होने से संयुक्त समन्वय समिति के नेता भड़क गए हैं। कर्मचारियों का कहना है कि एचआरटीसी निदेशक मंडल की बैठक से निगम कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी है। कर्मचारी बहुत लंबे समय से अपने देय वित्तीय भुगतानों की अदायगी की आस लगाए बैठे थे परंतु इससे संबंधित एक मामला भी बैठक में नहीं उठाया गया। इससे कर्मचारियों में रोष है। कर्मचारियों ने सरकार से सवाल किया है कि क्या यह बैठक केवल लोन लेकर नई बसें खरीदने के लिए बुलाई गई थी ? निगम में पहले ही बसों का भारी भरकम बेड़ा उपलब्ध है उनमें से सैकड़ों बसें अभी भी बिना प्रयोग के वर्षो से खड़ी है। पहले इन खड़ी बसों को संपूर्ण उपयोग में लाने की योजना पर कार्य किया जाना चाहिए था।
विदित रहे कि निगम प्रबंधन से कर्मचारी संशोधित वेतनमान और भत्ते मांग रहे हैं। साथ ही अनुबंध में चालक-परिचालकों को दो साल में रेगुलर करने का मामला भी गरमाया हुआ है। इस बीच हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम कर्मचारी संघों की संयुक्त समन्वय समिति ने साफ शब्दों में ऐलान कर दिया है कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते में समिति के नेताओं की अहम बैठक बुलाकर भावी रणनीति बनाकर निगम प्रबंधन पर दबाव बनाया जाएगा। संयुक्त समन्वय समिति के सचिव खेमेंद्र गुप्ता ने कहा कि बीओडी में निगम के कर्मचारियों की मांगों पर कोई गौर नहीं किया गया। इस कारण से समिति की बैठक अप्रैल दूसरे हफ्ते में बुलाकर आंदोलन की रणनीति बनेगी।
36 माह का ओवर टाइम नहीं मिला :
पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों का कहना है कि संशोधन वेतनमान और भत्ते देने का मामला निगम प्रबंधन से उठाया गया था परंतु बीओडी में इस अहम मसले पर कोई फैसला नहीं लिया गया। इसके अलावा अनुबंध पर लगे चालकों और परिचालकों ने दो साल की अवधि सितंबर में पूरी कर ली है और उनको मार्च अंत तक रेगुलर नहीं किया गया है। निगम कर्मचारियों को 36 माह का ओवर टाइम नहीं मिला है। निगम के पेंशनरों को भी वित्तीय लाभ देने से वंचित रखा गया है।
एचआरटीसी को विभाग का दर्जा दिया जाए :
संयुक्त समन्वय समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि नई बसें खरीद कर बेड़े में वृद्धि तो की जा रही है और नए डिपो भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए धड़ाधड़ खोले जा रहे हैं। परंतु मूलभूत संसाधन तथा सुविधाओं के नाम पर वर्तमान संसाधनों के धागे को ही खींचा जा रहा है। परिवहन मंत्री ने स्वयं माना कि एचआरटीसी की 90 प्रतिशत बसें घाटे में जनहित में चलाई जा रही है। इस घाटे के लिए कर्मचारियों को उनके अधिकारियों से वंचित किया जा रहा है। क्या घाटे के लिए कर्मचारियों को भूखे पेट कार्य करने को मजबूर किया जा सकता है? परिवहन मंत्री मानते है कि यह परिवहन निगम (एचआरटीसी) जनहित में कार्य कर रहा है, तो एचआरटीसी को भी अन्य जनहित में चलाए जा रहे विभागों की भांति विभाग का दर्जा देकर रोडवेज बना दिया जाना चाहिए, ताकि कर्मचारियों के देय वित्तीय लाभों की अदायगी समयानुसार की जा सके।