क्या आठ दिसम्बर को दिखेगा मंत्री बिक्रम का सियासी पराक्रम ?
जसवां परागपुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा सरकार में मंत्री बिक्रम ठाकुर का गढ़ रहा है। 2012 और 2017 में लगातार जीत दर्ज करने वाले बिक्रम ठाकुर यहां से तीन बार विधायक बने है। दरअसल 2008 के परिसीमन से पहले इस क्षेत्र को जसवां के नाम से जाना जाता था और तब 2003 में बिक्रम पहली बार इस सीट से विधायक बने थे। हालांकि 2007 का चुनाव वे हार गए लेकिन इसमें कोई संशय नहीं है कि वे इस क्षेत्र में आहिस्ता-आहिस्ता मजबूत होते रहे। 2017 में तीसरी बार विधायक बनने के बाद उन्हें जयराम कैबिनेट में मंत्री पद मिला और उद्योग और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण महकमे उनके पास रहे है। जाहिर है बिक्रम ठाकुर मंत्री बने तो इस क्षेत्र के लोगों की अपेक्षाएं भी उनसे बढ़ी।
इस बार भी यहां भाजपा से बिक्रम सिंह ठाकुर ही प्रत्याशी है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व में प्रत्याशी रहे सुरेंद्र सिंह मनकोटिया को मैदान में उतारा है। इन दोनों के अलावा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे समाजसेवी कैप्टेन संजय पराशर ने यहाँ के मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। वहीँ कभी बिक्रम सिंह ठाकुर के करीबी रहे मुकेश ठाकुर अब यहाँ से कांग्रेस के बागी है। सो ये सीट वोटों के ध्रुवीकरण के फेर में फंसी है और इस सीट पर बिक्रम ठाकुर का कड़ा इम्तिहान है। क्या कांग्रेस के सुरेंद्र मनकोटिया को इस ध्रुवीकरण का ज्यादा लाभ मिल सकता है, ये बड़ा और अहम सवाल है।
इस सीट के इतिहास पर निगाह डाले तो यहां कभी कोई निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव नहीं जीता है। 1972 से 2017 तक हुए 11 विधानसभा चुनावों में यहां 5 बार कांग्रेस, 5 बार भाजपा एक बार जनता पार्टी की जीत हुई है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विप्लव ठाकुर भी यहाँ से तीन बार विधायक रही है। विप्लव 1985, 1993 और 1998 में यहां से जीतकर विधानसभा पहुंची और 1995 से 1998 तक वीरभद्र सरकार में मंत्री भी रही। इसके बाद 2017 में बिक्रम ठकुर ही इस सीट से जीतकर मंत्री बन सके है। बहरहाल मतदान हो चुका है और नतीजे तक स्वाभाविक है सभी नेता अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे है। जानकारों की माने तो यहाँ बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है और जो भी जीते, मुमकिन है अंतर बेहद कम रहे।