2017 में हुई थी जमानत जब्त, क्या इस बार देहरा में कांग्रेस आ रही है ?
कहते है, देहरा कोई नहीं तेरा। पर विधायक बनने की चाह इस बार अच्छे अच्छों को देहरा खींच कर ले गई। नतीजन इस बार देहरा का चुनाव बेहद रोचक है। कौन जीतेगा, कौन हारेगा, ये तो आठ दिसम्बर को पता चलेगा, लेकिन मुमकिन है इस बार देहरा में परफेक्ट बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिले। शुरुआत भाजपा से करते है। भाजपा प्रत्याशी रमेश धवाला अपना पुराना निर्वाचन क्षेत्र ज्वालामुखी छोड़कर चुनाव लड़ने देहरा पहुंचे है। हालाँकि धवाला का घर देहरा निर्वाचन क्षेत्र में आता है लेकिन उनकी कर्म भूमि ज्वालामुखी ही रही है। ऐसे में बेशक धवाला वापस घाट लौट आये हो लेकिन घरवालों ने भी क्या वोटों से उनका स्वागत किया है, ये फिलवक्त बड़ा सवाल है।
वहीं कांगड़ा में किस्मत आजमाने के बाद कांग्रेस नेता डॉ राजेश शर्मा ने तो देहरा में घर भी बना लिया। जैसा अपेक्षित था डॉक्टर साहब ही इस बार देहरा से कांग्रेस उम्मीदवार रहे। पिछले चुनाव में कांग्रेस के तरफ से देहरा में वरिष्ठ नेता विप्लव ठाकुर मैदान में थी और उनकी जमानत जब्त हुई थी। पर इस बार ऐसे हाल नहीं है और राजेश शर्मा की दावेदारी दमदार दिख रही है। इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि आठ दिसंबर को देहरा में कांग्रेस की वापसी हो।
देहरा में तीसरा और अहम नाम है होशियार सिंह का। चुनाव से पहले देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह भाजपा में शामिल हुए। इसे भाजपा की बड़ी जीत के तौर पर देखा गया और लग रहा था मानों इस बार देहरा से होशियार सिंह ही भाजपा के प्रत्याशी होंगे। मगर भाजपा ने होशियार सिंह को गच्चा दे दिया। पार्टी ने होशियार सिंह नहीं बल्कि रमेश धवाला को टिकट दिया और होशियार सिंह को एक बार फिर से बतौर निर्दलीय मैदान में उतरना पड़ा। होशियार सिंह इस बार भी दोनों ही राजनैतिक दलों को कड़ी टक्कर देते हुए दिखाई दे रहे है और देहरा में मुकाबला रोचक हो चला है।
देहरा के चुनाव में दो नामो का जिक्र और जरूरी है। एक है निर्दलीय चुनाव लाडे वरुण कुमार और दूसरे है आम आदमी पार्टी के प्रत्यशी कर्नल मनीष। माहिर मान रहे है कि ये दोनों भी इस चुनाव में अपनी उपस्तिथि दर्ज करवाने में कामयाब रहे है और इनके द्वारा लिए गए वोट इस चुनाव में जीत-हार के समीकरण बदल सकते है। विशेषकर वरुण कुमार पर निगाह रहने वाली है कि उन्होंने कहाँ और कितनी सेंध लगाईं है।कुल मिलाकर इस बार देहरा का चुनाव बेहद रोचक है और यहाँ नतीजों से पहले जीत हार को लेकर कयासबाजी चरम पर है। आठ दिसम्बर को नतीजा आएगा और ये देखना भी रोचक होगा कि क्या धवाला को यहाँ से चुनाव लड़वाने का भाजपा का दाव उल्टा पड़ने वाला है।