चुनावी समर में फंसे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष
इस बार रेणुका सीट पर बीजेपी नारायण-नारायण कर रही है। 2011 में हुए उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद एक बार फिर बीजेपी जीत को लेकर आशावान है। इस बार भाजपा ने यहां से एक नए चेहरे नारायण सिंह को टिकट दिया है। भाजपा पूरी तरह से आश्वस्त है कि हाटी समुदाय के मुद्दे और मौजूदा विधायक के खिलाफ संभावित एंटी इंकमबैंसी के आधार पर इस सीट पर उसे बड़ा उलटफेर करने में सफलता हासिल होगी। उधर, कांग्रेस ने फिर एक बार विनय कुमार को टिकट दिया है। विनय कुमार दो बार के विधायक है और कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी। कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में उन्हें अहम पद मिलना भी लगभग तय है। विनय कुमार इस बार यहां जीत की हैट्रिक लगाने का दावा कर रहे है। हालाँकि क्षेत्र में उनको लेकर दिख रही एंटी इंकम्बैंसी और क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर नाराजगी को भी ख़ारिज नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके विनय कुमार का मिलनसार व्यवहार और क्षेत्र में उनकी पकड़ उनका दावा मजबूत करते है।
इतिहास पर नजर डाले तो यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। 1982 से 2007 तक हुए सात विधानसभा चुनावों में 1990 को छोड़कर हर बार कांग्रेस के प्रेम सिंह को जीत मिली फिर 2011 में प्रेम सिंह का स्वर्गवास हो गया। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने प्रेम सिंह के पुत्र विनय कुमार को टिकट दिया, जबकि भाजपा ने तब आईएएस अधिकारी हिरदा राम को वीआरएस दिला कर मैदान में उतारा। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का ये मास्टर स्टॉक काम कर गया और इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल कर ली। तब हिरदा राम ने विनय कुमार को करीब 3000 वोट से हराया। फिर 2012 में विनय कुमार ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीता और हिरदा राम को करीब सात सौ के अंतर से हराया। 2017 में भी विनय की जीत का सिलसिला जारी रहा और उन्होंने भाजपा के बलबीर सिंह को करीब पांच हजार के अंतर से हराया। अब एक बार फिर कांग्रेस ने उन्हें चुनावी दंगल में उतारा है।
हाटी फैक्टर का होगा कितना असर ?
अब मौजूदा चुनाव में सबसे बड़े फैक्टर की बात करते है जिससे भाजपा को बड़ी आस है।हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के फैसले का इस विधानसभा क्षेत्र में सीधा असर है। इस फैसले से रेणुका जी में 44 पंचायतों के 122 गांवों के 40,317 संबंधित लोगों को लाभ होगा। जबकि यहां एससी के 29,990 लोग बाहर होंगे। इस मुद्दे को भाजपा ने चुनाव में जमकर भुनाने की कोशिश की है। बाकायदा सतौन में गृह मंत्री अमित शाह का कार्यक्रम आयोजित करवाया गया। पर इसका कितना चुनावी लाभ भाजपा को मिला, ये तो नतीजे ही तय करेंगे।