क्या इस बार पवन ने बदल दी सरकाघाट की सियासी हवा ?
कभी कांग्रेस की गढ़ रही जिला मंडी की सरकाघाट सीट अब भाजपा का मजबूत किला बन चुकी है। 2008 परिसीमन से पहले इस सीट को गोपालपुर के नाम से जाना जाता था, फिर ये सीट सरकाघाट हो गई। इस सीट पर बीते 15 सालों से भाजपा काबिज है। यह वो सीट है जहाँ कभी कांग्रेस के पूर्व मंत्री रंगीला राम राव की तूती बोलती थी। वर्ष 1972 में पहली बार रंगीला राम राव ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर गोपालपुर से चुनाव लड़ा और वे पहली बार विधायक बने। कुछ समय बाद उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा और वर्ष 1977 से 2003 तक वे इस सीट से 6 बार जीते। सिर्फ 1990 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
फिर 2007 आते-आते इस निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा मजबूत हुई और भाजपा के इंद्र सिंह ने फिर यहाँ कमल खिलाया। तब उन्होंने रंगीला राम राव को करीब साढ़े सात हज़ार मतों के अंतर से पराजित किया था। हार का सिलसिला 2012 के चुनाव में भी बरकरार रहा और तब रंगीला राम राव को करीब 2200 वोटों से शिकस्त मिली। कांग्रेस ने लगातार दो बार हार का मुँह देखने के बाद 2017 ने रंगीला राम राव का टिकट काटकर नए चेहरे पर दांव खेला और पवन ठाकुर को मैदान में उतारा, लेकिन कांग्रेस का यह पासा भी उल्टा पड़ा और इंद्र सिंह ने जीत की हैट्रिक लगा दी।
अब बात करते है वर्तमान स्थिति की। बीते तीन चुनावों से सरकाघाट में भाजपा विधायक इंद्र सिंह भाजपा के प्राइम फेस बने हुए थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर वे खुद आश्वस्त भी थे, लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट यहां दलीप ठाकुर को मैदान में उतारा है। उधर कांग्रेस की बात करे तो इस सीट से लगातार युंका के कार्यकारी अध्यक्ष यदुपति ठाकुर टिकट मांग रहे थे, मगर पार्टी ने टिकट अपने पुराने उम्मीदवार पवन कुमार को ही दिया। पवन लगातार पांच साल लोगों के बीच सक्रिय रहे हैं और स्थानीय मुद्दों को भी उठाते रहे हैं। इस बार उन्हें ओपीएस और सत्ता विरोधी लहर से भी आस है। ऐसे में कांग्रेस पंद्रह साल बाद इस क्षेत्र में वापसी की उम्मीद में है।