सुजानपुर : खुद चुनाव न लड़कर भी धूमल ही लड़े है चुनाव !
सुजानपुर, वो विधानसभा सीट जिसने 2017 में एक किस्म से हिमाचल की सियासी तस्वीर बदल कर रख दी थी। तब इसी सीट से भाजपा के सीएम कैंडिडेट प्रो प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए थे। तब प्रदेश में सरकार तो भाजपा की बनी लेकिन धूमल साहब सीएम नहीं बन सके। इसके साथ ही भाजपा में बहुत कुछ बदल गया। जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने और आहिस्ता -आहिस्ता प्रदेश भाजपा उन्हीं के रंग-ढंग में ढलती चली गई। तब हुआ यूँ था कि 9 नवंबर 2017 को हिमाचल प्रदेश में मतदान था। तब भाजपा धूमल को मुख्यमंत्री फेस घोषित करने से बचती सी दिख रही थी और कांग्रेस, भाजपा को बिना दूल्हे की बारात कहकर चुटकी ले रही थी। पर प्रदेश में पार्टी की समीकरण बिगड़ते देख आखिरकार 30 अक्टूबर को राजगढ़ की रैली में तत्कालीन भाजपा राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेम कुमार धूमल को सीएम फेस घोषित कर दिया। इस घोषणा के बाद हाल बदला, हालात बदले और 18 दिसंबर को जब नतीजा आया तो भाजपा विधायकों की संख्या 44 थी। पर इस लिस्ट में खुद धूमल का नाम नहीं था। धूमल सुजानपुर से चुनाव हार गए वो भी 1911 वोटों से और हराने वाले थे कभी उनके करीबी रहे और कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा।
दिलचस्प बात ये है कि प्रेम कुमार धूमल 2012 में हमीरपुर सीट से चुनाव लड़े थे, पर पार्टी ने 2017 में उनकी सीट बदलकर उन्हें सुजानपुर से मैदान में उतारा था। उनकी सीट बदलने के बाद से ही कयासबाजी जारी थी कि कहीं धूमल खुद चुनाव न हार जाए और हुआ भी ऐसा ही। ये सवाल अब भी कई लोगों के जहन में है कि उनकी सीट आखिर क्यों बदली गई थी। बहरहाल सबके अपने कयास है और अपना-अपना विश्लेषण, लेकिन तब धूमल का हारना प्रदेश में भाजपा की सियासत का सबसे बड़ा घटनाक्रम साबित हुआ।
अब वर्तमान पर आते है। इस बार भी सुजानपुर विधानसभा सीट पर रोचक मुकाबला दिख रहा है। इस बार फिर कांग्रेस से राजेंद्र राणा मैदान में है, लेकिन भाजपा ने इस दफा कैप्टन रंजीत सिंह राणा को मैदान में उतारा है। दरअसल प्रो धूमल ने चुनावी राजनीति से दूरी बना ली जिसके बाद उन्हीं की पसंद के उम्मीदवार को पार्टी ने मैदान में उतारा है। ये ही कारण है कि रंजीत सिंह राणा के लिए खुद धूमल मोर्चा संभालते हुए नजर आये है। बेशक धूमल खुद चुनावी दंगल में नहीं उतरे है, लेकिन धूमल का अपना जनाधार है और जाहिर है कि इसका लाभ कैप्टेन को मिल सकता है। उधर, राजेंद्र राणा ने भी दमखम से चुनाव लड़ा है और स्वाभविक है खुद धूमल को हारने के बाद तो उन्हें हल्का नहींआँका जा सकता है। ऐसे में जाहिर है कांग्रेस इस सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त है। पर खुद धूमल का यहाँ जमकर प्रचार करना क्या रंग लाएगा, ये देखना भी दिलचस्प होगा। पर इसमें कोई संशय नहीं है कि अगर खुद धूमल मैदान में होते, तो संभवतः कुछ और बात होती।