शांता कुमार के गृह क्षेत्र में जाने क्या है भाजपा का हाल ?
पालमपुर यूँ तो भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का गृह क्षेत्र है, मगर हमेशा यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है। 1985 से हुए 8 विधानसभा चुनावों में से पालमपुर में भारतीय जनता पार्टी सिर्फ दो बार जीत दर्ज कर पाई है। पालमपुर की जनता का स्नेह लगातार बुटेल परिवार पर बरसता रहा है। 1993 से लेकर साल 2007 तक ये सीट कांग्रेस के बृज बिहारी लाल बुटेल के नाम रही। फिर 2007 में जनता ने एक मौका भाजपा को दिया, पर अगली बार फिर बुटेल परिवार की वापसी हुई। 2012 से 2017 तक फिर बृज बिहारी लाल बुटेल विधायक रहे। जबकि वर्तमान में उनके बेटे आशीष बुटेल पालमपुर से विधायक है। पालमपुर में बुटेल परिवार के वर्चस्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2017 में पहला चुनाव लड़े आशीष ने भाजपा की वरिष्ठ नेता व वर्तमान राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी को 4324 मतों से हराया था। इसके बाद पालमपुर नगर निगम चुनाव में भी भाजपा को यहां करारी शिकस्त मिली।
इस बार भाजपा ने बुटेल परिवार के इस गढ़ को भेदने के लिए वूल फेडरेशन के चेयरमैन और प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस की तरफ से फिर आशीष बुटेल मैदान में है। जाहिर सी बात है भाजपा महामंत्री के मैदान में होने से ये सीट भी हॉट सीट बनी हुई है और हिमाचल की राजनीति में रुची रखने वाले हर व्यक्ति की निगाहें इस सीट के नतीजों पर टिकी हुई है। माना जा रहा है कि महामंत्री के मैदान में होने से आशीष बुटेल के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। दरअसल इस सीट पर गद्दी वोटरों की संख्या ज्यादा होने से भी त्रिलोक ने मुकाबले को बेहद कड़ा बना दिया है। ग्राउंड रिपोर्ट की बात करें तो आशीष बुटेल को लेकर इस क्षेत्र में कोई नाराजगी नहीं दिखती। वहीं सत्ता विरोधी लहर और ओपीएस जैसे मुद्दे भी कांग्रेस को मजबूत करते है। सम्भवतः ये ही कारण है कि आशीष जीत को लेकर सौ फीसदी आश्वस्त दिख रहे है। उधर, त्रिलोक कपूर अगर हारे तो पार्टी के बाहर ही नहीं, पार्टी के भीतर भी उनको कई सवालों का सामना करना पड़ सकता है। बहरहाल प्रदेश भाजपा ने अपने महामंत्री को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर जरूर लगाया है, पर बावजूद इसके बुटेल परिवार का बुलेट प्रूफ किला बन चुके पालमपुर में पार्टी की डगर मुश्किल लग रही है।