परागपुर-गरली: समृद्ध इतिहास और संस्कृति का अक्स है ये धरोहर गांव
हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है जहां ऐसे कई स्थान है जो अपनी खूबसूरती से आम जनमानस को आकर्षित करते हैं। हिमाचल प्रदेश का धरोहर गांव परागपुर-गरली भी ऐसा ही एक स्थान है जो किसी को भी आकर्षित करने में सक्षम है। पर अफसोस इसके समृद्ध इतिहास को सहेजने में अभी ईमानदार प्रयास नहीं हुए। यूँ तो इन दोनों गांवों को धरोहर गांव का दर्जा मिले वर्षो बीत चुके हैं पर उस लिहाज से धरातल पर प्रयास नहीं हुए। ब्रिटिश काल में विकसित हुए ये गांव समृद्ध इतिहास और संस्कृति का अक्स हैं। यहाँ के भवनों की अद्धभुत नक्काशी, यहाँ की गलियां मानो एक अलग दुनिया में ले जाती हैं। यहां पर स्थित ऐतिहासिक तालाब बाजार के मध्य स्थित है। राजस्व रिकार्ड 1868 में उर्दू में तालाब के बारे में लिखा है 'मुद्दत ना मालूम' जिसका अर्थ है पता नहीं कब बना है। जानकर आश्चर्य होगा लेकिन ये सत्य है कि 1960 के दशक में परागपुर-गरली निवासी खुला शौच मुक्त थे। यहाँ स्थित बुटेल परिवार के ऐतिहासिक भवन देखने लायक है। पर नए दौर की चकाचौंध में लोग यहाँ से पलायन करते गए और आज यहाँ बने कई ऐतिहासिक भवन खाली है। प्रदेश सरकार ने 1991 की पर्यटन नीति के आधार पर 9 दिसंबर 1997 को परागपुर और वर्ष 2002 में गरली को धरोहर गांव घोषित किया। 2002 में धरोहर के संरक्षण को विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का दर्जा दिया गया, ताकि यहाँ बनने वाले भवन धरोहर के अनुरूप बने। जाहिर है केंद्र सरकार की ओर से भी धरोहर गांवों के संरक्षण के लिए धन मिलने लगा। पर अब भी इनके उचित संरक्षण हेतु जमीनी स्तर पर काम किये जाने की जरूरत है।
इन धरोहर गांवों पर बॉलीवुड की नजर भी पड़ चुकी है। पिछले कुछ समय में यहां कई फिल्मों, विज्ञापनो और एलबम की शूटिंग हुई हैं। इसीलिए इसे मिनी मायानगरी के नाम से भी जाना जाता है। गरली परागपुर एक ऐसा स्थान जहाँ पर पौराणिक समय की हवेलियां है जो फ़िल्म निर्माताओं को खूब लुभाती है। इस पर प्रकृति भी यहाँ मेहरबान है। लिहाजा बॉलीवुड के नामी फिल्मी सितारे यहां अपनी फिल्मों की शूटिंग के लिए खीचें चले आ रहे है। गरली परागपुर में वर्ष 2008 को शूट हुई बॉलीवुड फिल्म "चिन्टू जी" में मुख्य किरदार निभाने आए बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर ने कहा था कि बालीबुड फिल्मों की शूटिंग के लिए गरली परागपुर एक ऐसा स्थल है जहाँ पूरी फिल्म एक ही क्षेत्र में शूट हो सकती है। तब उक्त चिन्टू फिल्म को लगातार 48 दिनों तक यहाँ शूट किया था। बॉलीवुड की कई अन्य फिल्मों की शूटिंग भी यहाँ हुई है जिनमें फिल्म 'बाकें की क्रेजी बारात भी शामिल है। इसके अलावा कई बॉलीवुड, पहाड़ी, पंजाबी एलबम व एड फिल्मों की यहा शूटिंग हो चुकी है। टाटा नैनो कार की एड भी धरोहर गांव गरली-परागपुर में ही शूट हुई थी।
बड़े-बड़े फिल्मी सितारे कर चुके हैं शूटिंग
धरोहर गाँव परागपुर गरली से बॉलीवुड के कई प्रसिद्ध फिल्मी सितारों का भी लगाव है। फिल्मों की शूटिंग के मद्देनजर आमिर खान ,ऋषि कपूर, नेहा धूपिया सहित कई नामी बॉलीवुड सितारे यहाँ आ चुके है और उन्होंने इस स्थान को फ़िल्म शूट करने के लिए बेहतरीन माना है।
फिल्म सिटी बनाने की भी मांग
जसवां परागपुर के अंतर्गत पड़ते गरली-परागपुर लगभग 3 विधानसभाओं से सटा हुआ है जिसमें देहरा,ज्वालामुखी, नादौन शामिल है। इस स्थान पर फिल्म सिटी बनाने की मांग भी उठती रही है। जाहिर है अगर गरली - परागपुर के नजदीक फ़िल्म सिटी बनती है तो आसपास के क्षेत्रों को लाभ पहुंचेगा। धार्मिक नगरी से सटे इस इलाके के आसपास विश्वविख्यात माता ज्वालामुखी, बगलामुखी, चानो सिद्ध मन्दिर, ठाकुरद्वारा चनोर स्थित है। पहले ही इन सभी देव स्थानों की बहुत अहमीय है और धार्मिक पर्यटन के लिहाज से यहाँ काफी संख्या में लोग आते है। ऐसे में अगर यहां फिल्म सिटी बनती है तो क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए और भी बल मिलेगा।
अद्धभूत है गरली - परागपुर
गरली-परागपुर में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए काफी कुछ है। परागपुर में स्थित बुटेल नौण, तालाब, जजिस कोर्ट, प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर अपने आप में अद्भुत है। वहीं गरली में चार सौ साल पुराना तालाब, नौरंग यात्री निवास, सौ साल पुरानी भव्य हवेली, वर्ष 1918 में बना एंग्लो संस्कृत हाई स्कूल (अब रावमापा गरली), वर्ष 1928 में बनी उठाऊ पेयजल योजना आदि स्थान देखने योग्य हैं। लेकिन स्पष्ट नीति, योजनाएं और प्रचार की कमी के कारण गरली-परागपुर सिर्फ नाम का ही धरोहर गांव रह गया है।
प्राचीन तालाब को किया जा सकता है विकसित
गरली का प्राचीन तालाब पर्यटन के लिहाज से विशेष महत्व रखता है। स्थानीय लोग इसे 150 से 200 साल पुराना तालाब मानते हैं। तो कुछ बुजुर्गो ने इसे 400 साल पुराना बताते है। बताया जाता है कि इस तालाब में सात कुएं व सात ही बावड़ियां हैं। प्रमाण के तौर पर तालाब के कोने पर शीतल जल का कुआं आज भी सुरक्षित है। जानकार मानते है कि इसे पर्यटन की दृष्टि से एक पिकनिक स्पॉट में विकसित किया जा सकता है। इसका सौन्दर्यकरण करके इसके बीच पेडल बोट चलाए जा सकते हैं। किनारों पर पर्यटकों के लिए रिफ्रेशमेंट कॉर्नर, लाइब्रेरी, म्युजिकल फाउंटेन सहित अन्य सुविधाएं व आकर्षण विकसित किये जा सकते है। बस कमी है तो इच्छाशक्ति की।
'बांके की क्रेजी बारात' के कॉर्डिनेटर रुपिंदर सिंह डैनी क्या बोले
गरली में शूट हुई बांके की क्रेजी बारात फ़िल्म में फ़िल्म कॉर्डिनेटर रहे एवं प्रागपुर के पूर्व प्रधान रुपिंदर सिंह डैनी का कहना है कि गरली-परागपुर को फ़िल्म नगरी के रूप से सरकार को निखारना चाहिए, इससे हमारी धरोहरों को और भी अहमियत मिलेगी। लगभग 200-250 साल पहले बनी यह सुंदर-सुंदर हवेलियां का अपने आप में विशिष्ट है। सरकार को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए।
गरली-परागपुर है ऐतिहासिक नगरी : नवीन धीमान
सदवां निवासी एवम जसवां के पूर्व विधायक रहे नवीन धीमान ने कहा कि यहां पर कई प्रसिद्ध फिल्मी स्टार आ चुके हैं और आने की चाह भी रखते हैं क्यों कि इस स्थान में आकर एक अलग सा सुकून मिलता है। अगर सरकार गरली-परागपुर को फ़िल्म नगरी के रूप में विकसित करती है तो इसका सीधा फायदा स्थान की धरोहरों को भी जाएगा। कुछ ऐसी भी इमारतें देखी जा रही है जो कि जर्जर हालत में हैं, उनका भी जीणोद्धार हो जाएगा।