शिमला में आकर्षण का केंद्र है ब्रिटिश शासन काल की भूकंप रोधी इमारत
राजधानी शिमला.....विश्व भर में यहां की प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ यहां स्थित ऐतिहासिक इमारतों के लिए भी जाना जाता है। यूँ ही शिमला को पहाड़ों की रानी नहीं कहा जाता। शहर आज भी अपनी खूबसूरती के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। शहर की खूबसूरती का राज ब्रिटिश काल के दौरान बनी इमारतें भी हैं। उन्हीं इमारतों में शुमार हैं शिमला की भूकंप रोधी इमारत रेलवे बोर्ड बिल्डिंग। यह ब्रिटिश काल के दौरान बनी उन चुनिंदा इमारतों में से एक हैं जो पूरी तरह से भूकंप रोधी तकनीक से बनाई गई है। आपको सुन कर जरूर हैरानी होगी कि आखिर शिमला जैसे शहर में क्या इस तरह की इमारत बनाई जा सकती हैं, वो भी ब्रिटिश काल में। पर ब्रिटिश काल में इस अद्भुत ईमारत का न सिर्फ निर्माण हुआ बल्कि आज भी ये इमारत ज्यों की त्यों हैं। यह इमारत अपनी असामान्य संरचना और डिजाइन के कारण शिमला में एक मील का पत्थर है। आम तौर पर कोई भी इमारत लकड़ी पत्थर और मिट्टी, ईंट, सीमेंट से बनती हैं लेकिन रेलवे बोर्ड बिल्डिंग स्टील और कच्चा लोहा से बनी है। यही वजह है कि इस इमारत पर भूकंप और आग कुछ ख़ास नुकसान नहीं कर सकते। ब्रिटिश शासन के दौरान यह एक महत्वपूर्ण इमारत थी। यह कलात्मक इमारत अंग्रेजों के गुंजयमान इतिहास का प्रतीक है और अपने ऐतिहासिक महत्व और वास्तुकला के अनूठे नमूने के रूप में विख्यात है।
शिमला के मॉलरोड के समीप गॉर्टन कैसल के साथ लगती इस खूबसूरत इमारत का निर्माण ब्रिटिशकाल में सन 1896-1897 में बॉम्बे बेस्ड फर्म रिचर्डसन एंड क्रुडास द्वारा किया गया था। उस समय में इमारत के निर्माण में 4,08,476 रुपए की लागत आई थी जो उस समय की बहुत बड़ी राशि थी। पहले इसे लॉ विला और हरबंस हाउस भी कहते थे। यहां अंग्रेजों के जमाने में लोक निर्माण सचिवालय होता था। यह इमारत कास्ट आयरन एवं स्टील स्ट्रक्चर से ही बनी है। वर्तमान में यहां केंद्र सरकार के दफ्तर चल रहे हैं। आयकर विभाग, सीबीआई, पासपोर्ट ऑफिस जैसे कार्यालय यहां हैं, जबकि एजी ऑफिस में आग लगने के बाद इस कार्यालय के अधिकारी भी यहां कुछ समय बैठे थे। यह ऐतिहासिक इमारत ब्रिटिश कालीन इतिहास को संजोये हुए हैं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस इमारत की वास्तुकला पर्यटकों को खूब लुभाती हैं। रेलवे बोर्ड बिल्डिंग बाहर से जितनी आकर्षक व खूबसूरत है, अंदर से भी इसे उतना ही अधिक तराशा गया है। इसकी खास बात यह भी है कि प्राकृतिक रोशनी हर कमरे, कॉरिडोर व सीढ़ियों पर पड़ती है।
आग लगने के बावजूद सुरक्षित रही ईमारत
इस ईमारत की ख़ास बात यह है कि इस भवन में लकड़ी का प्रयोग नहीं हुआ, जिसके चलते इसे आग से भी महफूज माना जाता है। इसे आर्यन कास्ट-स्टील से बनाया गया। गौर रहें कि 10 फरवरी 2001 को इस इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल में आग लगी थी लेकिन इस भवन को जिस कला से बनाया गया है उसकी वजह से अग्निकांड से इमारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा और इसके आर्यन कास्ट और स्टील के बने स्ट्रक्चर ने इस इमारत को भयंकर अग्निकांड से बचा लिया। इसके बाद इस भवन में 3 मार्च 2010 को भी आगजनी की घटना पेश आ चुकी है, इसके बावजूद भी अभी तक यह इमारत स्टील के बने स्ट्रक्चर पर ही खड़ी है।
भूकंप रोधी तकनीक से बनाई गई थी इमारत
अंग्रेजों ने इस इमारत को भूकंप रोधी तकनीक से बनाया है। माना जाता है कि भूकंप आने पर भी लोहे के स्ट्रक्चर से बनी ये इमारत सुरक्षित रहेगी। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान, ब्रिटिश वास्तुकारों ने विभिन्न विभागों को समायोजित करने के लिए शिमला में कई इमारतों का डिजाइन और निर्माण किया। ये इमारतें बहुत मजबूत थीं, क्योंकि अंग्रेजों की प्राथमिक चिंता प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा थी। ब्रिटिश साम्राज्य में महत्वपूर्ण इमारतों के लिए सुरक्षा एक मुख्य विचार था, ऐसे में इस इमारत को संरचनात्मक रूप से आग प्रतिरोधी होने के लिए भी डिजाइन किया गया था। आज, यह वास्तुकला और आईआईटी के छात्रों के लिए अग्नि प्रतिरोधी और सुरक्षा सुविधाओं के लिए एक उदाहरण भी है। इतिहासकारों व लेखक मानते है कि रेलवे बोर्ड बिल्डिंग बनने से पहले यहां पर लकड़ी की इमारत में लोक निर्माण विभाग के दफ्तर होते थे। रेलवे बोर्ड ऑफ इंडिया बना तो इस लकड़ी की इमारत को गिराकर यहां भूकंप व आगरोधी इमारत को बनाया गया। उस भवन में फिर रेलवे बोर्ड कार्यालय चला और पीडब्ल्यूडी के कार्यालय विंटर फील्ड शिफ्ट किए गए। रेलवे बोर्ड बिल्डिंग में लोहा, सीमेंट व ईट का ही अधिक इस्तेमाल किया गया है जिसके चलते इसे आग से कोई खतरा नहीं है। हिमाचल प्रदेश सचिवालय की पुरानी इमारत व आर्मी ट्रेनिंग कमांड के कार्यालय भी लगभग इसी शैली से बने हैं।
वास्तुकला पर रिसर्च करने आते हैं स्टूडेंट्स
रेलवे बोर्ड बिल्डिंग की वास्तुकला का अध्ययन करने के लिए दुनिया भर से शोधार्थी आते हैं ताकि उन्हें इसके बारे में जरूरी तथ्य मिल सकें। शहर में स्थित ये ऐतिहासिक इमारत यहां आने वाले टूरिस्टों को बीते ब्रिटिश कालीन इतिहास की भी जानकारी देती हैं। इस इमारत का न केवल ऐतिहासिक महत्व है बल्कि इसकी वास्तुकला भी अतुलनीय हैं।
वैज्ञानिकों व भूगोलशास्त्री की मानें तो भूकंप की भविष्यवाणी तो नहीं की जा सकती, लेकिन भूकंप रोधी तकनीक अपना कर जानमाल की हानि को कम किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इस तकनीक को आज अपनाने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। पिछले कुछ दशकों में बहुमंजिला इमारतों के इजाफे के कारण शिमला भूकंप के मामले में काफ़ी संवेदनशील है। ऐसे में लोगों को चाहिए कि वह भवन निर्माण इंजीनियर की सलाह और सरकार की निर्देशों का पालन करते हुए बनाए, ताकि कभी भी प्रकृतिक आपदा आए तो उस से जान माल का कम नुकसान हो। ब्रिटिश काल में बनी रेलवे बोर्ड बिल्डिंग को इसका जीवंत उदाहरण माना जा सकता है।
-डॉ राम लाल, भूगोल प्रोफेसर, हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय।
शिमला की रेलवे बोर्ड बिल्डिंग अंग्रेजी शासनकाल के इतिहास को समेटे हुए हैं। ये इमारत भूकंप रोधी है और हमे भी बेहतर निर्माण के लिए प्रेरित करती है। आज की बात करें तो शिमला प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप को लेकर काफ़ी संवेदनशील है। ऐसे में यहाँ अब जो निर्माण कार्य होते हैं उनमें प्राकृतिक आपदा को ध्यान में रखते हुए व आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता हैं, ताकि किसी तरह का नुकसान न हो। निजी निर्माण में भी लोगों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए।
-सुरेश भारद्वाज, शहरी विकास मंत्री हिमाचल प्रदेश।