मेजर जनरल ईयान कार्डोजो, जिन्हें अपनी खुखरी से ही काटना पड़ा अपना पैर
-मेजर ने खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में ताजा की पाकिस्तानी-बांग्लादेश युद्ध की यादें
खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के दूसरे दिन मेजर जनरल ईयान कार्डोजो की बुक वियोंड फियर पर उनके साथ सारा जैकब ने चर्चा की। उन्होंने 1971 के पाकिस्तानी-बांग्लादेश युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि युद्ध के फैलने के दौरान वह कार्डोज़ो डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में एक पाठ्यक्रम में भाग ले रहे थे। उनकी बटालियन, 4/5 गोरखा राइफल्स, पहले से ही ऑपरेशन के पूर्वी मोर्चे पर तैनात थी। बटालियन का सेकेंड-इन-कमांड कार्रवाई में मारा गया और कार्डोज़ो को उसकी जगह लेने का आदेश दिया गया।
सिलहट की लड़ाई के दौरान भारतीय सेना के पहले हेलिबोन ऑपरेशन में उनका साथ देने के लिए वह समय पर अपनी बटालियन में पहुंचे। यहां 9 दिन और 9 रात हमारे सैनिक दुश्मनों का मुकाबला करते रहे। न खाना न पानी। अदम्य साहस का परिचय देते हुए 352 सैनिकों ने पाकिस्तान के 8000 की आर्मी को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया था। ढाका के बाद कार्डोजो का पैर एक बारूदी सुरंग पर पड़ गया और उसका पैर गंभीर रूप से घायल हो गया। पेनकीलर व अन्य दर्द निवारक औषधी न होने और डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण उसका पैर शल्य चिकित्सा द्वारा नहीं काटा जा सका। बाद में उन्होंने अपनी खुखरी का इस्तेमाल अपना पैर काटने के लिए किया। 9 माह अस्पताल में रहा। 6 माह बाद उनका वेतन आधा कर दिया गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे मैं आहत हुआ। आर्मी ऑफिसर बोल नहीं सकता, लेकिन जनता तो बोल सकती है। एक मेजर आर्मी के इतने बड़े सिस्टम से कैसे लड़ सकता है। उन्होंने अपनी लड़ाई लड़ी। नकली पांव से वो सब कुछ किया , जो सामान्य कर सकते थे। उन्हें प्रेरणा मिली पुस्तक अस्पताल के दौरान पुस्तक रीच फॉर स्काई से। उन्होंने कहा कि उन्होंने आर्मी पैसे के लिए नहीं बल्कि वे ऑफ लाइफ के लिए चुना था। हर आर्मी ऑफिसर का सपना होता है कि वह कमांड करें।
लिटफेस्ट के दूसरे दिन कार्डोजो की बुक वियोंड फियर पर चर्चा
खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के दूसरे दिन मेजर जनरल ईयान कार्डोजो की बुक वियोंड फियर पर उनके साथ सारा जैकब ने चर्चा की। मेजर जनरल ईयान कार्डोजो से प्रश्न किया गया कि आपने 7 पुस्तकें लिख चुके हैं और अपने जीवनी लिखने की क्यों सोची। उन्होंने बताया कि खुशवंत सिंह के साथ अपना संस्मरण साझा करते हुए बताया कि एक बार खुशवंत सिंह ने उन्हें अपनी साथ वाली चेयर पर बिठाया और कहा कि मैं आपकी स्टोरी लिखना चाहता हूं। उन्होंने कहा कोई स्टोरी नहीं है। खुशवंत सिंह ने कहा कि यस और नो। मैंने कहा नो। उन्होंने कहा कि फिर आप अपनी स्टोरी पढ़ लेना, कोई गलती हुई तो उसके लिए आप जिम्मेवार होंगे। फिर हम दोनों ने व्हीस्की ली। इसी से उन्हें अपनी जीवनी लिखने की प्रेरणा मिली।
1937 में मुंबई में हुआ था जन्म
1937 में मुंबई में जन्म ईयान कार्डोजो प्रारंभिक शिक्षा मुम्बई में हुई। कार्डोजो ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर भारतीय सैन्य अकादमी में भाग लिया। जहां से वह 5 गोरखा राइफल्स (फ्रंटियर फोसज़्) में शामिल हो गए और उन्हें कमीशन दिया गया। उन्होंने गोरखा राइफल्स के साथ भी काम किया है और उनके साथ दो युद्ध लड़े हैं-1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध।