पहले पढ़ाई, फिर विदाई

बाल विवाह एक कुप्रथा है। यह प्राचीन काल में प्रचलित थी, जब लड़के - लड़कियों का विवाह बहुत ही कम उम्र में करा दिया जाता था। बाल विवाह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में होते रहे है। भारत की संस्कृति ऐसी है जहाँ घर के बुजुर्ग चाहते थे कि उनके जीवित रहते - रहते उनके नाती पोतों का विवाह हो जाए। इसलिए भी कई बार भारत में 18 वर्ष से पूर्व लड़के लड़कियों का विवाह करा दिया जाता था। बाल विवाह के और भी कई कारण थे, जैसे की माता - पिता को अपनी इज़्ज़त की ज्यादा चिंता रहती थी की कही उनकी बेटी भाग के शादी न कर ले या फिर उनकी बेटी से कोई ऊंच - नीच न हो जाए। बाल विवाह का मुख्य कारण गरीबी भी था। भारत सरकार ने बाल विवाह निषेध अधिनियम 1 नवंबर 2007 को लागू किया। इस नियम के अनुसार विवाह के वक्त लड़के की आयु 21 वर्ष और लड़की की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। इससे कम आयु पर विवाह होने पर सम्बन्धित लोगों को दंडित किया जाएगा। अब भारत में बाल विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित है। 18 वर्ष से कम उम्र पर शादी करने पर 15 दिन का कारावास और 1000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है। ऐसा माना जाता है कि भारत के केरल, बिहार राज्य में बाल विवाह अब भी प्रचलित है। एक और जहां भारत विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है वही बाल विवाह जैसी कुप्रथा देश के विकास को रोक रही है। हम सभी को चाहिए कि इस कुप्रथा को समाप्त करें।