केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को भेजा प्रस्ताव, क्या निकलेगा कोई हल?

कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर ख़तम हुआ है और सरकार द्वारा एक लिखित प्रस्ताव भेजा गया है। सरकार द्वारा कृषि कानूनों में कुछ संशोधन सुझाए गए हैं और किसानों को भेजे गए हैं। लेकिन सुबह तक नरम रुख दिखा रहे किसान अब वापस सख्ती पर आ गए हैं। किसानों का कहना है कि वो सरकार का प्रस्ताव जरूर देखेंगे, लेकिन उनकी मांग सिर्फ तीनों कानूनों को हटाने की है।
किसानों का कहना है कि कृषि कानून का मसला किसानों की शान से जुड़ा है, ऐसे में वो इससे पीछे नहीं हटेंगे। सरकार कानून में कुछ बदलाव सुझा रही है, लेकिन हमारी मांग कानून को वापस लेने की है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी है तो हम भी अड़े हैं, कानून वापस ही होगा।
सरकार की ओर से सुझाए गए संशोधन कुछ इस प्रकार से है:
APMC एक्ट में बदलाव, फ्री मंडी में भी समान टैक्स, पहले फ्री मंडी में टैक्स नहीं था।
विवाद होने पर स्थानीय कोर्ट जाने का भरोसा, पहले सिर्फ SDM के पास जा सकते थे। .
फ्री ट्रेडर्स के लिए रजिस्ट्रेशन सुविधा, पहले सिर्फ पैन कार्ड से काम चल सकता था।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में बदलाव, किसान की जमीन की सुरक्षा का भरोसा।
MSP पर सरकार लिखित गारंटी देने को तैयार।
पराली जलाने के मसले पर सख्त कानून में नरमी।
आंदोलन के दौरान जिन किसान नेताओं पर केस दर्ज हुआ है, उनकी वापसी।
आपको बता दें कि किसानों की ओर से लगातार कृषि कानूनों की वापसी की मांग की गई, MSP पर लिखित में गारंटी देने को कहा गया और उसे कानून का हिस्सा बनाने की मांग की गई। हालांकि, सरकार अपनी ओर से साफ कर चुकी है कि कानून में संशोधन हो सकता है लेकिन वापस नहीं हो सकते हैं।