गहरे जख्म : अपनों को तलाश रही 11 माह की निकिता की निगाहें

जिला मंडी के सराज क्षेत्र में आई आपदा ने जो जख्म दिए है, उनका भरना बेहद मुश्किल है। 30 जून की रात बादल आफत बनकर बरसे और अपने पीछे कई दर्दनाक कहानियां छोड़ गए। सराज के परवाड़ा गांव में मलबा 11 माह की मासूम की पूरी दुनिया साथ ले गया, लेकिन कुदरत का चमत्कार देखिये मलबे के बीच, नन्हीं निकिता महफूस रही।
सराज विधानसभा क्षेत्र के परवाड़ा गांव के रमेश, उसकी पत्नी राधा और मां पूर्णू देवी काल का ग्रास बन गए, लेकिन परिवार की आखिरी निशानी
11 माह की बच्ची निकिता पर शायद कुदरत को रहम आ गया। 30 जून की उस काली रात को भारी बारिश के बेसह घर के से साथ लगते नाले का जलस्तर बढ़ने लगा। रमेश को खतरे का अहसास हुआ तो तो अपनी 11 माह की बच्ची को अंदर सुला दिया, और पत्नी व मां के साथ पानी के बहाव को मोड़ने के निकल पड़ा। तभी पानी का सैलाब आ गया और तीनो को अपने साथ ले गया। घर के भीतर उसकी ग्यारह महीने की बच्ची बिलकुल महफूस बच गई।
11 माह की निकिता की निगाहें अब अपनों का चेहरा तलाश रही है। एसडीएम गोहर एसडीएम स्मृतिका नेगी की बाहों में उस बच्ची की तस्वीर सामने आई , तो सबको भावुक कर गई। बच्ची की देखभाल फिलहाल उसकी बुआ तारा देवी कर रही है, लेकिन कई लोग उस मासूम को गोद लेने के लिए इच्छा जाता चुके है। अब तक निकिता के पिता तक रमेश का शव बरामद हो गया है, जबकि उसकी पत्नी और मां के शवों की तलाश जारी है।