शिमला जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में 3 साल में हुए 1287 सड़क हादसे, 530 लोगों की गई जान
भले ही सड़क विस्तार में हिमाचल को देश का सरताज बना दिया हो लेकिन पहाड़ी प्रदेश की सर्पीली सड़कें मानवीय खून से रंग रही है। राज्य की खस्ताहाल तंग सड़कों पर कदम कदम पर मौत का पहरा लगा हुआ है। शिमला जिला के ग्रामीण हल्को की सर्पीली सड़के वाहन चालको के लिए काल का ग्रास बनती जा रही है। जिला शिमला में 3 साल में 1287 सड़क हादसो में 530 लोगों की जान जा चुकी है और 2199 लोगो ने मौत को करीब से देखा है। औसतन प्रतिवर्ष जिला शिमला की सड़कों पर दो सौ के करीब बेगुनाहों की जाने जा रही है। या यूं कहें कि औसतन हर माह 40 के करीब सड़क हादसों में 15 मौतें और 60 से उपर लोग अपंगता का दंश झेलने को मजबूर हो रहे है। भले ही सरकार राज्य की सड़को पर 90 फीसदी दुर्घटनाओं का कारण ड्राइवर का नशे में रहकर गाड़ी दौड़ाना बता रही हो लेकिन सरकार की लापरवाही और विभागीय सिस्टम भी इसके लिए जिमेवार है। यंहा बताते चले कि हिमाचल के कुछ साल के सड़क हादसो को देखते हुए नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की सर्वे में हिमाचल को अन्य पहाडी राज्यों की तुलना में सडक हादसों में सबसे खतरनाक राज्य बताया है। हिमाचल में औसतन अन्य पहाड़े राज्यों की तुलना सबसे ज़्यादा सडक दुर्घटनाएं सामने आती हैं। इस रिपोर्ट के बाद भी सरकार ने सडक हादसों को रोकने के लिए काफी कोशिशें की थीं लेकिन इन हादसों में कोई ख़ास कमी दर्ज नहीं हो पाई। सड़क दुर्घटनाओं के बाद अब तक सरकार सिर्फ मजिस्ट्रेट इन्क्वायरी ही करवाती आ रही है, लेकिन सड़क हादसो को रोकने के लिए कोई कारगर निति नही अपनाई जा रही है। वंही डीएसपी मंगतराम ने बताया कि सड़क हादसे में 3 सालों का आंकड़ा देखें तो 2021 में कम सड़क हादसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण पुलिस द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान है। उन्होंने बताया कि पुलिस लोगों को जागरूक कर रही है कि नशा करके गाड़ी न चलाएं। बिना मतलब ओवरटेक न करें, तेज रफ्तार से गाड़ी न चलाएं। उन्होंने कहा कि पुलिस की जागरूकता का ही नतीजा है कि सड़क हादसे कम हो रहे हैं।