माजरा हिंसा मामला : बिंदल और सुखराम को मिली सशर्त अग्रिम जमानत, बिना अनुमति के नहीं जा पाएंगे विदेश

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी और तीन अन्य को बड़ी राहत देते हुए अग्रिम जमानत मंजूर कर दी है। ये जमानतें सिरमौर जिले के माजरा थाना क्षेत्र में दर्ज एफआईआर और धारा 163 के उल्लंघन से जुड़े मामले में दी गई हैं। न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की एकल पीठ ने पांचों याचिकाकर्ताओं को 50,000 रुपये के निजी मुचलके के साथ सशर्त जमानत देते हुए निर्देश दिए हैं कि वे जांच में पूरा सहयोग करें, बिना कोर्ट की अनुमति के विदेश न जाएं और किसी भी गवाह को प्रभावित न करें।
सरकार ने किया था जमानत का विरोध, समाज पर प्रभाव का तर्क दिया
सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने इस अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोप गंभीर हैं और इनका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि आरोपियों को राहत देना गलत संदेश देगा।
पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 13 जून को माजरा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जब एक विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था। इस दौरान पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई थीं। पुलिस का आरोप है कि 13 जून की घटना के बाद डॉ. बिंदल ने 14 जून को एक और प्रदर्शन का एलान किया था, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ने की आशंका बनी।
डॉ. बिंदल, विधायक सुखराम चौधरी, अलका रानी, आशीष छतरी और इतिंदर ने अदालत में तर्क दिया कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है और यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। उनका कहना है कि घटनास्थल पर उनकी कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी।
शर्तों के उल्लंघन पर जमानत रद्द करने की छूट
अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई याचिकाकर्ता इन शर्तों का उल्लंघन करता है, तो राज्य सरकार अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए उचित आवेदन दाखिल कर सकती है।