दलाई लामा का दोलग्याल साधना पर स्पष्ट संदेश: “यह भ्रमजाल तिब्बती समाज की एकता के लिए खतरा”

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने दोलग्याल (शुगदेन) साधना को लेकर एक बार फिर अपना स्पष्ट और निर्णायक रुख सामने रखा है। धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित मुख्य तिब्बती बौद्ध मठ में आयोजित सार्वजनिक दर्शन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि यह परंपरा तिब्बती बौद्ध समाज के भीतर फूट, भ्रम और मानसिक अशांति की जड़ बन चुकी है। कार्यक्रम के दौरान एक तिब्बती परिवार ने भावुक होकर दोलग्याल साधना से जुड़ी अपनी पीड़ा और मानसिक क्षति साझा की। उनकी आपबीती ने वहाँ उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं को भीतर तक झकझोर दिया। परिवार की व्यथा को गंभीरता से लेते हुए दलाई लामा ने न सिर्फ उन्हें सांत्वना दी, बल्कि इस संवेदनशील विषय पर अपना दो टूक दृष्टिकोण भी साझा किया।
दलाई लामा ने एक आधिकारिक वीडियो संदेश में कहा, "दोलग्याल कोई साधना नहीं, बल्कि एक भ्रमजाल है, जो बौद्ध अनुयायियों को उनके मूल उद्देश्य से भटका रहा है। यह प्रथा न केवल मानसिक शांति को नष्ट करती है, बल्कि करुणा और अहिंसा जैसे बौद्ध मूल्यों की नींव को भी कमजोर करती है।” उन्होंने कहा कि यह परंपरा अब केवल व्यक्तिगत आस्था का विषय नहीं रही, बल्कि तिब्बती समाज की सामूहिक एकता को विभाजित करने वाला एक गंभीर संकट बन चुकी है। राटो मठ के पूर्व और वर्तमान महंतों को विशेष रूप से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बौद्ध साधना का सार डर, अंधविश्वास या चमत्कारों में नहीं, बल्कि करुणा, सह-अस्तित्व और आत्मविकास में है।
युवाओं को उन्होंने खास तौर पर आगाह किया:
"तथाकथित चमत्कारी या भय पर आधारित पूजा-पद्धतियों के प्रभाव में न आएं। सत्य को पहचानना ही सच्चा आध्यात्म है।" यह पहली बार नहीं है जब दलाई लामा ने दोलग्याल के खिलाफ खुलकर बात की हो। वर्ष 1996 से ही वे इसे तिब्बती समाज में धार्मिक और राजनीतिक द्वेष फैलाने वाला उपकरण करार देते आए हैं। उनका मानना है कि कुछ शक्तियां इस साधना का प्रयोग तिब्बती समुदाय को भीतर से तोड़ने के लिए कर रही हैं। “मैं बौद्ध धर्म का सेवक हूं, मेरा धर्म है कि मैं अपने समुदाय को सच्चाई से अवगत कराऊं, चाहे वह कितनी ही अप्रिय क्यों न हो,” दलाई लामा का यह बयान उनके साहस और करुणा दोनों का सजीव प्रमाण है। यह वीडियो संदेश “Office of His Holiness the Dalai Lama” द्वारा आधिकारिक रूप से जारी किया गया है, जिसमें दलाई लामा की स्पष्टवादिता और उनके नेतृत्व की नैतिक शक्ति साफ झलकती है। उनके शब्द न केवल एक चेतावनी हैं, बल्कि एक आह्वान भी सच्चे बौद्ध पथ की ओर लौटने का।