धर्म की स्वतंत्रता विधेयक में संशोधन के खिलाफ सड़कों पर उतरे दलित, शिमला में निकाला जुलूस

हिमाचल सरकार द्वारा विधानसभा में धर्म की स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2022 को पारित किया गया है। लेकिन वहीं धर्म की स्वतंत्रता विधेयक में संशोधन के खिलाफ दलित सड़कों पर उतर आए है। धर्म की स्वतंत्रता विधेयक 2022 में संसोधन के खिलाफ दलित शोषण मुक्ति मंच व प्रदेश भर के दलित संगठनों ने मंगलवार को शिमला में उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उन्होंने उपायुक्त कार्यालय से राजभवन तक रैली निकाली और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर विधेयक को निरस्त करने की मांग उठाई है। इस प्रदर्शन में सीपीआईएम विधायक राकेश सिंघा भी मौजूद रहे। वहीं, शेर-ए-पंजाब से आगे जाने से रोके जाने पर पुलिस के साथ काफी देर तक बहस बाजी भी हुई।
दलित शोषण मुक्ति मंच के राज्य संयोजक जगत राम ने कहा कि धर्मान्तरण विरोधी विधेयक 2022 सदन में लाया गया है। यह विधेयक दलित विरोधी हैं। यह दलित समाज पर मनुवादी सोच का हमला हैं। उन्होंने कहा कि यह संवेधानिक स्वतंत्रता के साथ धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला हैं। धर्म परिवर्तन संवेधानिक अधिकार हैं। उन्होंने आगे कहा कि अम्बेडकर ने भी धर्म परिवर्तन किया। संसोधन के बाद इसमें सजा और जुर्माने का प्रावधान किया हैं। कोई एससी अगर धर्म परिवर्तन करता हैं तो उसको आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। इस विधेयक से हिमाचल के दलित समुदाय पर जबरदस्त हमला किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उसके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। क्योंकि इस विधेयक में जो पहले से प्रावधान थे, उन प्रावधानों में और संशोधन कर इसे और कड़ा बनाया गया है।
नए प्रावधानों में धर्म परिवर्तन नहीं कर सकते। यदि आप मैरिज दूसरे धर्म के साथ करते हैं और अपना धर्म छिपाते हैं तो उसमें व्यक्ति को 1.50 लाख का जुर्माना व 5 साल की कैद होगी। इसके अलावा अनुसूचित जाति का व्यक्ति यदि धर्म परिवर्तन करता है तो उसको आरक्षण के साथ दूसरा जो लाभ मिलते हैं वो सारे खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह दलित को गुलाम बनाने की साजिश की जा रही है। जिसका सभी संगठन विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधायक को निरस्त करने के लिए आज राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया है। वहीं, माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि हिमाचल के अंदर दलितों के अधिकारों का हनन हो रहा है। दलित नेता जिदान की हत्या बेरहमी से कर दी गई थी, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।