कर्ज बड़ी बाधा, पर मजबूत है सीएम सुक्खू का इरादा

सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर पहुंचने वाले सातवें शख्स है। प्रथम मुख्यमंत्री डॉ वाईएस परमार से लेकर पिछले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तक तमाम मुख्यमंत्रियों की अपनी एक अलग शैली, एक अलग दृष्टिकोण रहा है। सभी ने अपने अपने अंदाज में हिमाचल को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। कोई सड़कों वाला मुख्यमंत्री कहलाया, कोई पानी वाला, तो किसी ने शिक्षा को तवज्जो दी। अलबत्ता सुखविंदर सिंह सुक्खू को कार्यकाल संभाले अभी चार माह भी नहीं बीते है लेकिन सुक्खू के कई ऐसे निर्णय है जो अभी से उन्हें एक अलग कतार में खड़ा करते है। मसलन प्रदेश के यतीम अब 'चिल्ड्रन ऑफ़ स्टेट' है और हिमाचल देश का एक ऐसा राज्य है जो 'ग्रीन स्टेट' बनने के मिशन पर ईमानदार प्रयास करता दिख रहा है। बहरहाल सफर लम्बा है और चुनौतियां बेशुमार, निर्कर्ष पर पहुंचना अभी जल्दबाजी हो सकता है लेकिन इसमें कोई डॉ राय नहीं है कि बतौर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू अपनी कार्यशैली से छाप छोड़ रहे है।"
'पूत के पाँव पालने में दिख जाते है', बेशक प्रदेश की सुक्खू सरकार को सत्ता में आएं अभी चार महीने भी नहीं बीते हो लेकिन सरकार नीति और नियत को लेकर एक सकारात्मक माहौल जरूर है। चुनौतियां भरपूर है और आर्थिक स्थिति पतली, बावजूद इसके बेतहाशा कर्ज और सीमित संसाधनों के साथ भी सुख की सरकार प्रदेश को उन्नति के पथ पर बढ़ाने के लिए अग्रसर दिखती है। अपने अल्प कार्यकाल में सरकार कई अहम फैसले ले चुकी है और कई सरकार की नीतियों में एक दूर्गामी सोच साफ़ देखने को मिल रही है। चाहे ग्रीन हिमाचल की राह पर आगे बढ़ने का फैसला हो या पर्यटन के लिए आधारभूत संरचना को मजबूत करने की दिशा में कदम, इसमें कोई संशय नहीं है कि सुक्खू सरकार सही राह पर आगे बढ़ती दिख रही है।
सुक्खू कैबिनेट की बैठकों में लिए गए सरकार के फैसलों हो या बजट में किए गए प्रावधान, कहीं न कहीं ये उम्मीद जरूर जगी है कि ये सरकार सिर्फ बातें नहीं करती बल्कि उन पर अमल करने को भी प्रतिबद्ध है। निसंदेह सीमित वित्तीय संसाधन बड़ी बाधा है पर सरकार की नियत को लेकर कोई शक ओ शुबा नहीं दिखता।
प्रभावित करती ही सीएम की साफगोई और सादगी :
सीएम सुक्खू की एक बात बेहद प्रभावित करती है और वो है प्रदेश की आर्थिक स्थिति के बारे में मुख्यमंत्री का खुलकर जनता को बताना। सीएम सुक्खू प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति की बात स्वीकार भी कर रहे है और जनता का समर्थन भी मांग रहे है। नए मुख्यमंत्री की इस स्पष्टवादिता से लोग खासे प्रभावित भी दिख रहे है। बहरहाल आगाज अच्छा है पर निसंदेह सुक्खू सरकार को उन सभी अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा जो जनता उनसे बांधे बैठी है। इसी तरह आल्टो कार से विधानसभा पहुंचना हो या फिर लाव लश्कर को छोड़कर शिमला माल रोड पर सुबह की सैर के लिए साधारण व्यक्ति की तरह निकल जाना, मुख्यमंत्री सुक्खू अपनी सादगी से जनता पर छाप छोड़ रहे है। मुख्यमंत्री से मिलने जो भी आता है, ये सुनिश्चित किया जाता है कि खाली हाथ वापस नहीं लौटे। सामान्य व्यक्ति की तरह रहते हुए सीएम सुक्खू ने विधायक रहते हुए कभी अपने साथ पीएसओ नहीं रखा था। अब प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भी उनकी सादगी बरक़रार है।
लिए कई बड़े अहम फैसले :
अपने छोटे से कार्यकाल में सुक्खू सरकार ने ऐसे कई बड़े फैसले लिए है जो हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2032 तक भारत का सबसे समृद्ध राज्य बनाने के सरकार के सपने को सींचता दिखाई देते है। गुड गवर्नेंस को लेकर सरकार संजीदा है। सरकार द्वारा भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया गया, जहां पेपर में गड़बड़ी पाई गई, वहां पेपर को कैंसल किया गया। इसके चलते कर्मचारी चयन आयोग को भंग किया गया ओर आरोपियों की गिरफ्तारी भी जारी है। इसके अलावा सरकार प्रदेश हरित राज्य बनाने की ओर भी आगे बढ़ रही है। सुक्खू सरकार ने साल 2026 तक हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए प्रदेश में वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला जाएगा। इसके लिए सीएम ने ई-बस, ई-ट्रक की खरीद पर 50 लाख तक और ई-टैक्सी की खरीद पर 50 फीसदी सब्सिडी देने का ऐलान किया है। वहीं जिन 10 गारंटियों के सहारे कांग्रेस सत्ता में आई थी उनमें से दो को पूरा करती हुई भी सरकार दिखाई दी है। प्रदेश के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दे दी गई और महिलाओं को 1500 चरणबद्ध तरीके से देने पर भी काम किया जा रहा है।
दिल छू रहा सरकार का मानवीय चेहरा :
यहाँ सुक्खू सरकार के उस मानवीय चेहरा का जिक्र भी जरूरी है जिसने हरआम और ख़ास व्यक्ति के मन को छुआ है। सीएम बनने पर सुखविंदर सिंह सुक्खू सबसे पहले अनाथ बच्चों, निराश्रित महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बड़ी योजना लेकर आए, जिसे सुखाश्रय कोष का नाम दिया गया है। सुखाश्रय योजना का लाभ प्रदेश के करीब 6 हजार अनाथ बच्चों को होगा। वहीं 27 साल तक सरकार इन बच्चों की पढ़ाई से लेकर दूसरी हर जरूरतों को पूरा करेगी।
आय बढ़ाने को बढ़ाये कदम :
प्रदेश की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए सरकार ने आय बढ़ाने पर भी काम किया है। नई एक्साइज पालिसी के तहत शराब के ठेकों की नीलामी की गई। वहीं सरकार ने बजट में शराब की हर बोतल पर दूध सेस लगाने का ऐलान किया है जिससे 120 करोड़ से अधिक का राजस्व मिलेगा। इसके अलावा सरकार ने जलविद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस वसूलने का निर्णय लिया है इससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा।