पर्यवेक्षकों के नियमितीकरण में देरी असंवैधानिक: हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग में अनुबंध पर नियुक्त पर्यवेक्षकों के नियमितीकरण में देरी को असंवैधानिक ठहराया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की एकल पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ताओं की सेवाएं भी उनके सहकर्मियों की तरह 2 मई 2019 से नियमित मानी जाएं और सभी परिणामी लाभ छह सप्ताह के भीतर प्रदान किए जाएं।
अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी चयनित उम्मीदवारों ने एक ही विज्ञापन और समान चयन प्रक्रिया के तहत आवेदन किया था। उन्हें 30 मार्च 2016 को नियुक्ति पत्र दिए गए और 16 अप्रैल 2016 तक कार्यभार ग्रहण करने को कहा गया था। कुछ ने जल्दी ज्वाइन किया, कुछ ने कुछ दिन बाद, लेकिन चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया समान थी। ऐसे में केवल ज्वाइनिंग की तारीख के आधार पर नियमितीकरण में भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।
मामले की पृष्ठभूमि:
2015 में महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर के 69 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। सभी चयनितों को नियुक्ति पत्र 30 मार्च 2016 को जारी हुए। कुछ उम्मीदवारों ने 31 मार्च व 1 अप्रैल को कार्यभार संभाल लिया, जिनकी सेवाएं 2 मई 2019 को नियमित हो गईं। लेकिन याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को 11 अक्टूबर 2019 को नियमित किया गया, जिससे वे अपने सहकर्मियों से छह महीने पीछे रह गए।
कोर्ट की टिप्पणी:
"एक ही चयन प्रक्रिया, एक ही नियुक्ति आदेश, लेकिन अलग-अलग नियमितीकरण – यह सरासर भेदभाव है। राज्य को समानता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए," अदालत ने कहा।