दिव्यांगों के चेहरे पर मुस्कान लाई अपंग राहत योजना

प्रदेश सरकार ने दिव्यांगजनों के कल्याण, उत्थान और सशक्तिकरण के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई हैं। प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही अपंग राहत योजना दिव्यांग लोगों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने में फलप्रद साबित हो रही है। हिमाचल प्रदेश विकलांग पेंशन योजना का मुख्य उद्देश्य विकलांगों को आत्मनिर्भर बनाना है ताकि वह किसी पर भी बोझ न बन सके, अपना खुद का गुजारा खुशी से कर सके और समाज में सम्मान के साथ रह सके। इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ मापदंड निर्धारित है। ऐसे दिव्यांग व्यक्ति जिन्हें अपंगता की परिभाषा के अनुसार गठित चिकित्सा बोर्ड से 40 प्रतिशत या इस से अधिक स्थाई अपंगता प्रमाण पत्र जारी किया गया हो, जिनके कोई भी व्यस्क बच्चे न हो तथा जिनका वार्षिक आय समस्त स्त्रोतों से 35,000 रुपए से अधिक न हो वो सभी इस योजना से लाभान्वित हो सकते है। इसके अलावा चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा जारी विकलांगता प्रतिशतता प्रमाण-पत्र चाहे वह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की विकलांगताओं के मूल्यांकन तथा प्रमाणित करने हेतु जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार बहु-विकलांगता 40 प्रतिशत या इससे अधिक प्रमाणित की गई हो, अपंग राहत भत्ता स्वीकृति हेतु मान्य है। मानसिक रूप से अविकसित व्यक्तियों को तथा 70 प्रतिशत या इससे अधिक अपंगता वाले व्यक्तियों को बिना किसी आय सीमा के पेंशन प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत 40 से 69 प्रतिशत अपंगता वाले पात्र व्यक्ति को 1000 रुपए प्रतिमाह (आय सीमा 35,000 रुपए वार्षिक), 70 प्रतिशत या इससे अधिक अपंगता वाले पेंशनरों को 1500 रुपए प्रतिमाह (कोई आय सीमा नहीं) और 70 वर्ष या इससे अधिक आयु के अपंग पेंशनरों को 1500 प्रतिमाह (कोई आय सीमा नहीं) आर्थिक मदद दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के 64904 लोगों को पेंशन प्रदान की जा रही है।
यह है प्रक्रिया
निर्धारित प्रपत्र पर पात्र व्यक्ति को अपना प्रार्थना पत्र सम्बन्धित पंचायत अथवा तहसील कल्याण अधिकारी या जिला कल्याण अधिकारी को प्रस्तुत करना होता है। पात्र व्यक्तियों की पहचान सम्बन्धित ग्राम सभा की बैठक में की जाती है तथा पहचान करके पात्र व्यक्तियों की सूची सम्बन्धित तहसील कल्याण अधिकारी को प्रस्ताव सहित भेजते है। सम्बन्धित तहसील कल्याण अधिकारी द्वारा पात्र व्यक्तियों के प्रार्थना पत्र तथा उसमें औपचारिकताएं अपने स्तर पर पूर्ण करवायी जाने उपरान्त प्रार्थना पत्रों को स्वीकृति हेतू सम्बन्धित जिला कल्याण अधिकारी को भेजा जाता है। 70 प्रतिशत या इससे अधिक अपंगता वाले प्रार्थी अपने प्रार्थना पत्र सीधे तहसील कल्याण अधिकारी / जिला कल्याण अधिकारी कार्यालय को दे सकते है।